Saturday, April 27, 2024
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पुराने टैक्स डिमांड वापस लेने के मामले में प्रति टैक्सपेयर लिमिट तय, बजट में हुई थी घोषणा

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 2024-25 के अंतरिम बजट में की गई घोषणा को अमल में लाने के लिए यह आदेश जारी किया। एक लाख रुपये की लिमिट में टैक्स डिमांड की मूल राशि, ब्याज, जुर्माना या शुल्क, उपकर, अधिभार शामिल है।

Sourabha Suman Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: February 19, 2024 19:23 IST
कुल टैक्स डिमांड करीब 3,500 करोड़ रुपये है।- India TV Paisa
Photo:FREEPIK कुल टैक्स डिमांड करीब 3,500 करोड़ रुपये है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने छोटी टैक्स डिमांड को वापस लेने को लेकर सोमवार को प्रति टैक्सपेयर एक लाख रुपये की लिमिट तय कर दी है। इस बात की घोषणा बीते बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के लिए अपने अंतरिम बजट भाषण में आकलन वर्ष 2010-11 तक 25,000 रुपये और आकलन वर्ष 2011-12 से 2015-16 तक 10,000 रुपये तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने की घोषणा की थी।

3,500 करोड़ रुपये है कुल टैक्स डिमांड

खबर के मुताबिक, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 2024-25 के अंतरिम बजट में की गई घोषणा को अमल में लाने के लिए यह आदेश जारी किया। इसमें शामिल कुल टैक्स डिमांड करीब 3,500 करोड़ रुपये है। भाषा की खबर के मुताबिक,  31 जनवरी, 2024 तक इनकम टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स और गिफ्ट टैक्स से संबंधित ऐसी बकाया टैक्स डिमांड को माफ करने को लेकर प्रति टैक्सपेयर के लिए एक लाख रुपये की मैक्सिमम लिमिट तय की गई है।

इस तरह की डिमांड पर छूट नहीं

सीबीडीटी ने आदेश में कहा है कि एक लाख रुपये की लिमिट में टैक्स डिमांड की मूल राशि, ब्याज, जुर्माना या शुल्क, उपकर, अधिभार शामिल है। हालांकि, आयकर अधिनियम के टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) या टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) प्रावधानों के तहत कर कटौती करने वालों टैक्स कलेक्टर्स के खिलाफ की गई डिमांड पर यह छूट लागू नहीं होगी।

कई मांग वर्ष 1962 से भी पुरानी

नांगिया एंडरसन इंडिया के भागीदार मनीष बावा ने कहा कि निर्देश यह स्पष्ट करता है कि यह छूट करदाताओं को ‘क्रेडिट’ या ‘रिफंड’ के किसी भी दावे का अधिकार नहीं देता है। साथ ही, छूट करदाता के खिलाफ चल रही, नियोजित या संभावित आपराधिक कानूनी कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगी और किसी भी कानून के तहत कोई प्रतिरक्षा प्रदान नहीं करती है। सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था कि बड़ी संख्या में कई छोटी-छोटी प्रत्यक्ष टैक्स मांग बही-खातों में लंबित है। उनमें से कई मांग वर्ष 1962 से भी पुरानी हैं। इससे ईमानदार करदाताओं को परेशानी होती है और रिफंड को लेकर समस्या होती है।

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