जीएसटी काउंसिल की तरफ से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में हालिया सुधार और कटौती से सरकार को राजस्व (रेवेन्यू) में करीब ₹3,700 करोड़ का मामूली नुकसान हो सकता है, लेकिन इसका राजकोषीय घाटे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह बात भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ताज़ा रिसर्च रिपोर्ट में कही गई है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, रिपोर्ट में बताया गया है कि जीएसटी दरों के तर्कसंगतीकरण से अर्थव्यवस्था को खपत और ग्रोथ में मजबूती मिलेगी, जिससे यह संभावित नुकसान संतुलित हो जाएगा। वहीं, सरकार का अनुमान है कि दरों में इस बदलाव का कुल सालाना राजकोषीय असर ₹48,000 करोड़ के आसपास हो सकता है।
GST काउंसिल की 56वीं बैठक में बड़ा फैसला
हाल ही में आयोजित जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में टैक्स स्ट्रक्चर में ऐतिहासिक बदलाव किया गया। मौजूदा चार-स्तरीय दर संरचना (5%, 12%, 18% और 28%) को हटाकर अब दो मुख्य दरें लागू की गई हैं: मानक दर 18% और निम्न दर 5%। साथ ही, कुछ विशिष्ट वस्तुओं और सेवाओं पर 40% की डी-मेरिट दर भी लागू की गई है।
बैंकिंग सेक्टर को मिलेगा फायदा
SBI की रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी दरों के पुनर्गठन का सबसे पॉजिटिव असर बैंकिंग क्षेत्र पर पड़ने की संभावना है। तर्कसंगत दरों से कॉस्ट एफिशिएंसी बढ़ेगी, जिससे ऑपरेशनल खर्च में कटौती और समग्र कार्यप्रणाली में सुधार देखने को मिलेगा।
औसत प्रभावी जीएसटी दर में बड़ी गिरावट
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जीएसटी लागू होने के समय यानी 2017 में औसत प्रभावी दर 14.4% थी, जो अब घटकर 9.5% तक आ सकती है। यह गिरावट मुख्यतः आवश्यक वस्तुओं (करीब 295 आइटम्स) की दरों में कटौती के चलते हुई है, जिन्हें 12% से घटाकर 5% या शून्य कर दिया गया है।
महंगाई दर पर सकारात्मक असर
जीएसटी दरों में कटौती का असर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई पर भी देखने को मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में सीपीआई महंगाई 25 से 30 बेसिस पॉइंट तक कम हो सकती है। वहीं 2026-27 तक कुल सीपीआई में 65 से 75 बेसिस पॉइंट तक की कमी आने का अनुमान है।






































