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Hindi News बिहार "विपक्ष की बैठक में लाइमलाइट नहीं मिली तो मुंह लटकाकर चले आए", CM नीतीश पर सुशील मोदी ने कसा तंज

"विपक्ष की बैठक में लाइमलाइट नहीं मिली तो मुंह लटकाकर चले आए", CM नीतीश पर सुशील मोदी ने कसा तंज

सीएम नीतीश कुमार की ही अगुवाई में विपक्षी एकता की बैठक शुरू हुई और वहीं, बेंगलुरु में हुई दूसरी बैठक से सीएम नीतीश कुमार नाराज होकर लौट आएं। इस मुद्दे पर सुशील मोदी ने इंडिया टीवी से बात की।

Sushil Modi- India TV Hindi Image Source : TWITTER सुशील मोदी

2024 में NDA को टक्कर देने के लिए बेंगलुरु में दो दिनों तक विपक्षी दलों की बैठक हुई। जिसमें विपक्षी दलों के सभी बड़े-बड़े नेता मौजूद रहे। बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए और वह जल्दी ही पटना लौट आएं। सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार इस बैठक से खुश नहीं थे। वह विपक्षी एकता दल के नए नाम से भी सहमत नहीं थे। जिसके बाद इस मामले पर इंडिया टीवी से बात करते हुए सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर तंज कसा है। उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार को इस बैठक में ज्यादा लाइमलाइट नहीं मिला तो नराज होकर वह वापस लौट आएं। 

सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार विपक्षी एकता की बैठक से नाराज है इसलिए वह प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित नहीं हुए और पटना में भी चार्टर प्लेन से उतरने के बाद मीडिया से बात नहीं की। नहीं तो दिन में तीन बार मीडिया से बात करने वाले नीतीश कुमार अब तक चुप नहीं बैठते। नीतीश कुमार को यह अपेक्षा थी इस बार उनका नाम कन्वेनर के रूप में तय किया जाएगा लेकिन वह फैसला नहीं हो पाया। उन्हें लग रहा था कि शायद प्रधानमंत्री के रूप में उनकी उम्मीदवारी पर भी चर्चा हो सकती है। गठबंधन के नाम को लेकर भी मतभेद थे तो कहीं ना कहीं नाराजगी जरूर है। ललन सिंह को बताना चाहिए कि नीतीश कुमार चार्टर प्लेन से गए थे। कोई कमर्शियल फ्लाइट तो थी नहीं जो लेट होने से दिक्कत हो जाती। रात भर रुकना पड़ेगा आप सरकारी प्लेन लेकर गए थे तो सरकारी प्लेन जब लेकर गए तो 2 घंटे रुक भी सकते थे।

"नीतीश कुमार ऐसे ही करते हैं, मैं उन्हें 15-20 साल से जानता हूं"

मैं नीतीश जी को मैं 15-20 साल से जानता हूं। वह ब्लैकमेल करते हैं। नाराजगी दिखाते हैं। यही तरीका है उनके नाराजगी दिखाने का और फिर ब्लैकमेल करना, बारगेन करना। फिलहाल वह कांग्रेस से बारगेन कर रहे हैं। क्योंकि उनको जो महत्व इस बैठक में मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। पूरा का पूरा लाइमलाइट मिल गया अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी को। नाम का भी प्रस्ताव ममता बनर्जी ने किया। ममता और राहुल इन्हीं लोगों ने नाम तय किया इसलिए वह अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनका स्वभाव ही यहीं है कि वह बहुत दिन तक खुश नहीं रहते। कुछ दिनों के बाद वह नाराज होने लगते हैं, हालांकि  बीजेपी का दरवाजा उनके लिए हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। 

सिर्फ नाम बदला है चेहरे अभी भी वही हैं

विपक्षी गठबंधन के नए नाम पर सुशील मोदी ने कहा कि आखिर नाम क्यों बदल दिया? क्या नाम बदलने से चेहरा बदल जाएगा। इसके पीछे भी तो वहीं लालू है, वहीं तेजस्वी हैं, वहीं ममता है जिनके दो-दो मंत्री जेल में है। अरविंद केजरीवाल हैं जिनके दो मंत्री करप्शन के आरोप में जेल में हैं। नाम बदलकर नया नाम रख लेने से क्या होगा। चेहरे वही हैं इससे लोगों का विश्वास नहीं बढ़ जाता है।

इन वजहों से नाराज हैं नीतीश कुमार

इसके बाद सुशील मोदी ने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव भी मौजूद नहीं थे। जबकि समाजवादी पार्टी के 5 लोग बैठक में थे, शरद पवार मौजूद थे लेकिन उन्होंने कोई टीका टिप्पणी नहीं की। यह क्या दर्शाता है कि अब नेतृत्व कांग्रेस ने अपने हाथों में ले लिया है। पटना की बैठक तक ये नीतीश कुमार के हाथ में था लेकिन बेंगलुरु की बैठक के बाद पूरी जो लीडरशिप है वह राहुल गांधी के हाथ में आ गई है। नीतीश कुमार भीतर से राहुल गांधी को कभी पसंद नहीं करते हैं इसलिए नाराजगी है। 

मुझे तो कांग्रेस के भीतरी सूत्रों ने बताया कि मुख्य रूप से दो विषयों को लेकर नीतीश कुमार की नाराजगी थी। वह चाहते थे कि इस बैठक में कन्वेनर का नाम तय हो जाए और विपक्षी गठबंधन के नाम को लेकर भी उनकी आपत्ति थी। उन्होंने कुछ सुझाव दिया लेकिन सुझाव मान्य नहीं हुआ और इसलिए वह नाराज होकर बिना प्रेस कॉन्फ्रेंस को एडमिट किए चले गए। लोग उनसे आग्रह करते रहे कि रुक जाइए प्रेस में पहले बोल कर निकल जाइएगा। जैसा पिछली बार ममता बनर्जी बोलकर निकल गई वह कर सकते थे लेकिन मीडिया से बातचीत नहीं करना यह दिखाता है कि कहीं ना कहीं नीतीश कुमार नाराज हैं।

विपक्षी दल का हर नेता प्रधानमंत्री बनना चाहता है

प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी पर सुशील मोदी ने बोला कि हर पार्टी यही कहेगी कि हम रेस में नहीं है लेकिन सबके भीतर लड्डू फूट रहा है कि कहीं मौका मिल जाए तो 2 दिन के लिए ही क्यों ना एक बार प्रधानमंत्री बन जाते। चाहे वह नीतीश हों, केजरीवाल हों, ममता या अखिलेश यादव सभी लोगों के मन में है कि किसी तरह से 2 दिन के लिए ही प्रधानमंत्री बन जाएं। नीतीश कुमार ऊपर से कहते हैं कि मैं दावेदार नहीं हूं और नारा लगाते हैं कि देश का पीएम कैसा हो नीतीश कुमार जैसा हो। सारे क्षेत्रीय दल के नेताओं के मन में यही है कि वह पीएम बन जाए। इंडिया बनाम भारत की बातचीत की जा रही है। 100 जुगनू मिलकर सूरज को बदलना चाहते हैं। कहावत है कि जुगनूओं की महफिल में निर्णय लिया गया कि सूरज को बदलना है तो यह जो रात को चमकने वाला जुगनू होता है वो मिलकर भी नरेंद्र मोदी का मुकाबला नहीं कर सकता।

"रामविलास पासवान की दोनों पार्टियां NDA के साथ खड़ी हैं"

चिराग पासवान और उनके चाचा पारस पशुपति नाथ के बीच चल रही अनबन को लेकर सुशील मोदी ने कहा कि परिवार की लड़ाई को सुलझाना बहुत कठिन काम नहीं है, बहुत जल्दी ही सुलझ जाएगा। जो लोग पारस जी के साथ हैं, वह सब लोग चिराग के साथ भी खड़े हैं। रामविलास पासवान जी की दोनों पार्टियां एनडीए के साथ हैं। 

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