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गुजरात: आंतरिक कलह से जूझ रही भाजपा! कई सीटों पर कार्यकर्ताओं में मतभेद; कैसे होगा '26 का क्लीन स्वीप'

गुजरात में भाजपा की अच्छी पकड़ है। यहां की सभी 26 लोकसभा सीटों पर भाजपा का क्लीन स्वीप है। लेकिन इस बार के राजनीतिक आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं। यहां की कई सीटों पर भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच ही मतभेद देखने को मिल रहा है।

कार्यकर्ताओं के बीच मतभेद दूर करने का चल रहा प्रयास।- India TV Hindi Image Source : PTI कार्यकर्ताओं के बीच मतभेद दूर करने का चल रहा प्रयास।

अहमदाबाद: गुजरात की कुछ लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों का चयन करने को लेकर भाजपा के कार्यकर्ताओं में मतभेद की स्थिति बनी हुई है। वहीं पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता इसका समाधान भी खोज रहे हैं। बता दें कि अमरेली, राजकोट, साबरकांठा, सुरेंद्रनगर और वडोदरा जैसी सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं। ऐसे में गुजरात की सभी 26 सीटों पर पार्टी की विजय यात्रा पर खतरा मंडराता हुआ दिख रहा है।

राजकोट में राज शेखावत का इस्तीफा

शनिवार को क्षत्रिय समुदाय के नेता राज शेखावत ने राजकोट लोकसभा सीट के उम्मीदवार परषोत्तम रूपाला की पूर्व में की गयी टिप्पणी के विरोध में भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। दरअसल, रूपाला ने दावा किया था कि कई राजपूत शासकों ने अंग्रेजों के साथ सहयोग किया था। वहीं शेखावत ने कहा कि ‘‘पार्टी नेतृत्व ने रूपाला के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।’’ हालांकि रूपाला ने इन टिप्पणियों के लिए माफी मांगी है। 

अमरेली में भाजपा के दो गुटों में झड़प

इसी बीच अमरेली लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के तौर पर भरत सुतारिया के चयन को लेकर शनिवार रात को पार्टी के दो समूहों में झड़प हो गयी। यहां निवर्तमान सांसद नारन कछाड़िया के समर्थक अमरेली से सुतारिया को प्रत्याशी बनाने के पार्टी के फैसले से नाखुश दिखायी दिए। राज्य के पूर्व मंत्री भूपेंद्र चूडासमा सुतारिया की उम्मीदवारी को लेकर मतभेदों को हल करने के लिए शनिवार रात को ही अमरेली पहुंचे लेकिन बाद में पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गयी थी। चूडासमा ने कहा कि अमरेली से सुतारिया ही भाजपा उम्मीदवार रहेंगे। 

वडोदरा में वापस लेनी पड़ी उम्मीदवारी

वहीं वडोदरा में दो बार की मौजूदा सांसद रंजन भट्ट के खिलाफ आंतरिक विरोध के कारण उन्हें अपनी उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी। इसके बाद भाजपा ने वडोदरा से हिमांग जोशी को अपना उम्मीदवार घोषित किया। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में वडोदरा से संसदीय चुनाव जीता था लेकिन बाद में वाराणसी से चुनाव लड़ने के कारण उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी। 

साबरकांठा में भीकाजी ठाकोर का इनकार

साबरकांठा लोकसभा सीट से भीकाजी ठाकोर के चुनाव लड़ने से इनकार के बाद कांग्रेस के एक पूर्व विधायक की पत्नी को सीट से मैदान में उतारने के फैसला लिया गया। इसके विरोध में 26 मार्च को बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और स्थानीय नेता ठाकोर के समर्थन में मोडासा शहर में पार्टी कार्यालय के बाहर एकत्र हो गए थे। उन्हें मनाने के लिए पार्टी आलाकमान ने कई दौर की बैठकें की थीं। 

शोभना बारैया का भी हुआ विरोध

दूसरी तरफ भाजपा के हिम्मतनगर तालुक पंचायत सदस्य जितेंद्र सिंह झाला ने शोभना बारैया की उम्मीदवारी का विरोध करते हुए एक खुला पत्र लिखा। झाला ने दावा किया कि ‘‘मैंने यह कहा है कि पार्टी को ऐसी महिला को टिकट नहीं देना चाहिए जो उसकी महिला इकाई की सदस्य नहीं हैं। वह (शोभना) पार्टी से जुड़ी हुई नहीं हैं। उनके पति भाजपा में शामिल हुए हैं लेकिन वह पार्टी की सदस्य नहीं हैं।’’ बहरहाल, शोभना बारैया ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘मुझे जनता का समर्थन और भरोसा मिल रहा है। मेरे पति 5,000 कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा में शामिल हुए और मैं भी (प्रधानमंत्री) मोदी साहेब की विचारधारा से जुड़ी हूं और यही वजह है कि मोदी साहेब ने मुझे अपना आशीर्वाद दिया है।’’ 

सुरेंद्रनगर में चंदू शिहोरा का हुआ विरोध

सुरेंद्रनगर सीट पर भी कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने चंदू शिहोरा की उम्मीदवारी का विरोध किया, जिन्हें निवर्तमान सांसद महेंद्र मुंजपारा के स्थान पर टिकट दिया गया है। चुनवलिया कोली उप-जाति से आने वाले शिहोरा तलपाड़ा कोली समुदाय के सदस्यों से पार्टी के भीतर विरोध का सामना कर रहे हैं। 

(इनपुट- भाषा)

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