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Hindi News हेल्थ महाराष्ट्र में तेजी से बढ़ा खसरा रोग, अगले साल मार्च तक पीक पर हो सकती है बीमारी

महाराष्ट्र में तेजी से बढ़ा खसरा रोग, अगले साल मार्च तक पीक पर हो सकती है बीमारी

महाराष्ट्र में खसरा पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में प्रशासन और हेल्थ विशेषज्ञ, इसकी एक बड़ी लहर आने की आशंका जता रहे हैं।

measles- India TV Hindi Image Source : FREEPIK measles

Measles spreads in maharashtra: महाराष्ट्र में खसरा रोग बड़ी तेजी से फैल रहा है। इस हफ्ते भी इसके मामलों में बढ़ोतरी हुई है। अब तक राज्य में खसरा के  11,777 मामले आ चुके हैं और जिनमें से  724 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इस हफ्ते यहां लगभग 84 मामले आए हैं। बता दें कि ज्यादातर मामले  मुंबई, मालेगांव, भिवंडी, ठाणे औरंगाबाद, और  बुलढाणा से आए हैं। जहां, लगातार पिछले कुछ महीनों में खसरा के मामले थमने का नाम नहीं ले रहें वहीं, अब इसे लेकर विशेषज्ञों की आशंका कुछ और ही है।

मार्च में पीक पर हो सकती है बीमारी

खसरा के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं, ऐसे में विशेषज्ञों की आशंका है कि मार्च में यह बीमारी अपने पीक पर हो सकती है। दरअसल, इस समय के बीच खसरा संक्रमण सबसे ज्यादा हो सकता है और बहुत से बच्चे इसके शिकार हो सकते हैं।

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इन 2 तरीकों से बढ़ रहे हैं खसरा के मामले

खसरा के मामले वर्तमान में दो पैटर्न से फैल रहे हैं। जैसे कि आप देखें तो कहीं इसके मामले तेजी से बढ़े हैं तो कहीं कुछ जगह छिटपुट मामले सामने आए हैं। इसके अलावा कुछ क्षेत्र इसके बड़े हॉटस्पॉट के रूप में उभर कर आ रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि खसरा का ग्राफ तेजी से बढ़ सकता है और आने वाले दिनों में यह बढ़ कर मार्च के महीने तक अपने पीक पर हो सकता है।

राज्य में कुपोषित बच्चों की पहचान की जा रही है

खसरा के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं, ऐसे में राज्य में कुपोषित बच्चों की पहचान की जा रही है। उन्हें विटामिन ए की गोलियां दी जा रही हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके पोषण की स्थिति में सुधार हो। बता दें कि खसरा एक संक्रामक बीमारी है जो कि कमजोर इम्यूनिटी वाले और कुपोषित बच्चों में तीजे से फैल सकता है। साथ ही खसरा के टीके पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है।

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इसके अलावा खसरे के मामलों की निगरानी के लिए सभी जिलों में टास्क फोर्स का गठन किया गया है। राज्य में अब तक खसरे से 15 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में 5 शिशु 0-11 महीने की उम्र के थे। आठ 12-24 महीने के आयु वर्ग में थे और बाकी दो 25-60 महीने की उम्र के बीच थे।

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