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Hindi News हेल्थ कोरोना के बाद युवाओं में बढ़ा कार्डियक अरेस्ट का खतरा: स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया

कोरोना के बाद युवाओं में बढ़ा कार्डियक अरेस्ट का खतरा: स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया

कोरोना वायरस का असर लोगों में व्यापक तौर पर हुआ है। सबसे ज्यादा इसका असर युवाओं में हुआ है जिनमें दिल से जुड़ी इस बीमारी का खतरा बढ़ा है।

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कोरोना को लेकर अब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन और तमाम हेल्थ एजेंसी की रिपोर्ट आती रही है जिनमें इसके व्यापक असर पर लगातार चर्चा होती आई है। पर आज संसद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि देश में कोविड ​​​​-19 के बाद युवाओं में अचानक मौत की घटनाएं बढ़ी हैं जिसका एक बड़ा कारण कार्डिक अरेस्ट है। इतना ही नहीं, मंडाविया ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद कोरोना महामारी के बाद कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों के तथ्यों का पता लगाने के लिए तीन अलग-अलग अध्ययन कर रही है।  हालांकि, अभी तक इनके स्पष्ट कारणों के बारे में पता नहीं चल पाया।

युवाओं में बढ़ा कार्डियक अरेस्ट का खतरा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि भारत में 18 से 45 वर्ष की आयु के वयस्कों में अचानक होने वाली मौतों से जुड़े कारकों लगभग 40 अस्पताल और अनुसंधान केंद्र शोध कर रही है।  भारत में 2022 में 18 से 45 वर्ष की आबादी के बीच थ्रोम्बोटिक घटनाओं पर कोविड वैक्सीन के प्रभाव को लेकर अब भी केस स्टडी चल रही है।

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नॉन कम्युनिकेबल डिसीज के रोकथाम और नियंत्रण के लिए केंद्र सचेत

इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ये भी बताया कि नॉन कम्युनिकेबल डिसीज़ के लिए भारत सरकार क्या कर रही है। उन्होंने बताया कि हृदय रोग से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए, केंद्र का स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग राष्ट्रीय गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इस कार्यक्रम में बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, मानव संसाधन विकास, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कल्याण केंद्र के तहत 30 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग की आबादी की जनसंख्या-आधारित जांच, इंस्टेंट ट्रीटमेंट और  और उचित स्तर पर रेफरल शामिल है। 

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एनपी-एनसीडी के तहत, 724 जिला नॉन कम्युनिकेबल डिसीज़ क्लीनिक, 210 जिला हृदय देखभाल इकाइयां, 326 जिला डे केयर सेंटर और 6,110 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र क्लीनिक स्थापित किए गए हैं। इतना ही नहीं हृदय रोग के रोगियों को मेडिकल कॉलेजों, एम्स जैसे केंद्रीय संस्थानों, केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र के अस्पतालों सहित स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली में विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं में इलाज मिल रहा है।

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प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत हार्ट डिजीज पर खास ध्यान

प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत नए एम्स और कई उन्नत संस्थानों में विभिन्न पहलुओं में हृदय रोगों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत सुलभ और किफायती स्वास्थ्य देखभाल और उपचार की सुविधा के लिए, 60 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जाता है। उपचार पैकेज व्यापक हैं, जिसमें दवाओं और नैदानिक ​​सेवाओं जैसे उपचार से संबंधित विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है।

राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, राज्य सरकारों के सहयोग से प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत सभी को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

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