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पवित्र माघ मास की हुई शुरुआत, इस माह में पड़ रही ये खास तिथियां, देखें पूरी लिस्ट

माघ मास की कुछ तिथियों पर कुछ विशेष कार्यों की भी बात कही गयी है। इन तिथियों में भगवान को प्रसन्न करना का सबसे अच्छा वक्त होता है। जानें आचार्य इंदु प्रकाश से कौन सी तिथियां है।

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धर्म डेस्क: 21 जनवरी से बहुत ही पवित्र माघ मास की शुरुआत हो चुकी है। आज माघ कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर ही समाप्त हो चुकी है। फिलहाल माघ कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि चल रही है। शास्त्रों में जिस प्रकार कार्तिक महीने का महत्व बताया गया है, उसी प्रकार माघ महीने का भी बहुत महत्व है।

हेमाद्रि व्रत खण्ड और भविष्यपुराण के अनुसार माघ मास की कुछ तिथियों पर कुछ विशेष कार्यों की भी बात कही गयी है। उनके अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को एक भक्त, षष्ठी को नक्त और सप्तमी को उपवास करना चाहिए। साथ ही सप्तमी को कनेर के पुष्पों और लाल चन्दन से सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए। वैसे तो सप्तमी से शुरू करके पूरे एक वर्ष तक सूर्यदेव की पूजा की बात कही गयी है।

इसमें पूरे साल को चार-चार महीनों के तीन भागों में बांटकर, हर भाग में विभिन्न नैवेद्य, पुष्प और धूप से भगवान की पूजा करनी चाहिए और अंत में एक रथ के दान की बात भी कही गयी है। जानें किस दिन पड़ रही है कौन सी खास तिथि।

24 जनवरी: संकट चौथ
माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 जनवरी को है। इसे सकट चौथ या तिल चौथ के नाम से जाना जाता है। इसी दिन भगवान गणेश की उत्पत्ति भी हुयी थी। इसलिए इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की उपासना की जाती है और उनके निमित्त व्रत किया जाता है। इस व्रत में पूरा दिन निराहार रहकर शाम के समय चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है और तिलकूट खाया जाता है। आपको बता दें कि जितना महत्व माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का है, शास्त्रों में उतना ही महत्व माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का भी है। माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को उमा चतुर्थी कहते हैं। इस दिन विशेष रूप से महिलाओं के द्वारा कुन्द और अन्य पुष्पों से, गुड़ से और नमक से गौरी पूजा की जाती है। इस दिन ब्राह्मणों और गायों का भी विशेष सम्मान किया जाता है।

1 फरवरी: कृष्ण पक्ष की द्वादशी
माघ कृष्ण पक्ष की द्वादशी को उपवास कर तिल से हरि पूजा करने, तिल से होम करने, तिल का दान करने और उसे खाने का विधान है। दरअसल इसके पीछे माना जाता है कि माघ कृष्ण पक्ष की द्वादशी को यम ने तिल उत्पन्न किये थे, जिसे दशरथ ने पृथ्वी पर लाकर बोया था और भगवान विष्णु को देवों ने तिल का स्वामी बनाया था। इसीलिए माघ कृष्ण पक्ष की द्वादशी को ये सब कार्य किये जाते हैं। इससे व्यक्ति के ऊपर श्री हरि और यम, दोनों की कृपा बनीरहती है और वह बिना किसी रुकावट के जीवन में आगे बढ़ता रहता है। आपको बता दूं कि माघ में 1 फरवरी को कृष्ण पक्ष की द्वादशी पड़ रही है।

4 फरवरी मौनी अमावस्या
अगर माघ अमावस्या की बात करें, तो 4 फरवरी को अमावस्या पड़ रही है। माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। जब माघ अमावस्या सोमवार के दिन होती है, तो उस दिन विशेष रूप से पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए और दान देना चाहिए। संयोग की बात ये है कि इस बार माघ अमावस्या के दिन सोमवार पड़ रहा है। अतः इस बार की अमावस्या बड़ी ही खास है। आपको बता दूं कि सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

8 फरवरी: शुक्ल पक्ष की चतुर्थी
आपको बता दूं कि जितना महत्व माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का है, शास्त्रों में उतना ही महत्व माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का भी है। माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को उमा चतुर्थी कहते हैं। इस दिन विशेष रूप से महिलाओं के द्वारा कुन्द और अन्य पुष्पों से, गुड़ से और नमक से गौरीपूजा की जाती है। इस दिन ब्राह्मणों और गायों का भी विशेष सम्मान किया जाता है।

12 फरवरी: शुक्ल पक्ष की सप्तमी
कृत्यरत्नाकर के पृष्ठ- 509, वर्षक्रियाकौमुदी के पृष्ठ- 499 से 502, कृत्यतत्व के पृष्ठ- 459 आदि के अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर अरुणोदय के समय किसी नदी या बहते हुए जल में अपने सर पर आक या मदार के पौधे की सात पत्तियां रख कर स्नान करना चाहिए। इसके अलावा अलग से आक की सात पत्तियां, चावल, तिल, दूर्वा, अक्षत और चन्दन लेकर जल में डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए और प्रणाम करना चाहिए। साथ ही सप्तमी तिथि को भी देवी मानकर प्रणाम करना चाहिए।

13 फरवरी: सूर्य का कुंभ राशि में प्रवेश
13 फरवरी, माघ शुक्ल पक्ष की अष्टमी को सूर्य की कुंभ संक्रांति है। इस दिन सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर सूर्यदेव कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। इस संक्रांति का पुण्यकाल 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।

माघ मास में कुंभ के शाही स्नान
प्रयाग में 15 जनवरी से 4 मार्च तक चलने वाले कुंभ मेले के दौरान तीन शाही स्नान का आयोजन होना है, जिसमें से पहला शाही स्नान पौष शुक्ल पक्ष में 15 जनवरी को हो चुका है, जबकि बाकी दो शाही स्नान पवित्र माघ महीने के दौरान पड़ रहे हैं। जानकारी के लिये आपको बता दूं कि माघ के दौरान दूसरा शाही स्नान 4 फरवरी को सोमवती मौनी अमावस्या के दिन, जबकि तीसरा शाही स्नान 10 फरवरी को, बसंत पंचमी के दिन पड़ रहा है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा का विधान है। इस दिन घरों में पीले चावल बनाये जाते हैं। बसंत पंचमी के दिन ही रतिकाम महोत्सव भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान कामदेव और उनकी पत्नी भगवति रति की पूजा करने का विधान है।

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