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Hindi News धर्म त्योहार Amalaki Ekadashi 2023: आमलकी एकादशी व्रत आज, आंवला को छूने मात्र से मिलेगा दोगुना फल, जानिए कब है पारण का शुभ मुहूर्त

Amalaki Ekadashi 2023: आमलकी एकादशी व्रत आज, आंवला को छूने मात्र से मिलेगा दोगुना फल, जानिए कब है पारण का शुभ मुहूर्त

Amalaki Ekadashi 2023: आज आमलकी एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा कर के कई गुणा पुण्य कमा सकते हैं। जानिए आमलकी एकादशी व्रत का महत्व और पारण का टाइम।

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Amalaki Ekadashi 2023: फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के साथ आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। कहते हैं कि जो भी व्यक्ति आमलकी एकादशी के दिन आंवला वृक्ष की विधिवत पूजा करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। कहते हैं कि आंवले के पेड़ में देवताओं का वास होता है, इसलिए इसे देव वृक्ष भी कहा जाता है। आंवले के पेड़ की पूजा करने से सभी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

आपको बता दें कि आंवले का एक नाम आमलकी भी है, इसलिए आज आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। मान्यताओं के मुताबिक, आंवले के वृक्ष के हर हिस्से में भगवान का वास माना जाता है। इसके मूल, यानी जड़ में श्री विष्णु जी, तने में शिव जी और ऊपर ब्रहमा जी का वास होता है। साथ ही इसकी टहनियों में मुनि, देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और इसके फलों में सारे प्रजापति का निवास माना जाता है। भगवान विष्णु को आंवले का वृक्ष अत्यंत प्रिय है। कहते हैं आंवले के वृक्ष के स्मरण मात्र से गौ दान के समान पुण्य फल मिलता है। वहीं इसके स्पर्श से किसी भी कार्य का दो गुणा और इसका फल खाने से तीन गुणा पुण्य फल मिलता है। अतः स्पष्ट है कि आंवले का वृक्ष व्यक्ति के समस्त समस्याओं को हरने वाला है।

आमलकी एकादशी पूजा और पारण शुभ मुहूर्त

  • आमलकी एकादशी व्रत तिथि-  3 मार्च 2023
  • एकादशी तिथि आरंभ- सुबह 6 बजकर 29 मिनट से (2 मार्च 2023)
  • एकादशी तिथि समापन- सुबह 9 बजकर 12 पर (3 मार्च 2023)
  • आमलकी एकादशी व्रत पारण मुहूर्त-  सुबह 06 बजकर 44 मिनट से सुबह 09 बजकर 03 मिनट के मध्य तक (4 मार्च 2023) 
  • द्वादशी तिथि समापन- 11 बजकर 43 मिनट पर (4 मार्च 2023) 

एकादशी व्रत

एकादशी के दिन व्रत रखने का भी विधान है। आपको बता दें कि शुक्ल पक्ष की इस एकादशी का व्रत जो ग्रहस्थ हैं और जो ग्रहस्थ नहीं हैं, वो दोनों कर सकते हैं। दरअसल, गृहस्थ को केवल शुक्ल पक्ष की एकादशी में व्रत करना चाहिए, जबकि जो ग्रहस्थ नहीं है, उनके लिए कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की एकादशी नित्य है।  पुराणों के अनुसार,  गृहस्थ केवल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की शयनी और कार्तिक शुक्ल पक्ष की बोधनी एकादशी के मध्य पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी कर सकते हैं। बाकी केवल शुक्ल पक्ष की एकादशी ही कृत्य है। अतः आज के दिन जो ग्रहस्थ हैं और जो ग्रहस्थ नहीं हैं, दोनों को आमलकी एकादशी का व्रत करना चाहिए। व्रत करने वाले को पूजा से पहले ही भगवान के सामने खड़े होकर, हाथ में तिल, कुश, एक सिक्का और जल लेकर व्रत का संकल्प ले लेना चाहिए और उसके बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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