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Hindi News धर्म त्योहार Kalashtami Vrat 2022: कल है कालाष्टमी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और मंत्र

Kalashtami Vrat 2022: कल है कालाष्टमी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और मंत्र

Kalashtami Vrat 2022: आइए जानते हैं कालाष्टमी व्रत की पूजा- विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में।

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Kalashtami Vrat 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनायी जाती है। इस दिन भगवान शंकर के भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है। कालाष्टमी के दिन सुबह किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए और उसके बाद भैरव जी की पूजा करनी चाहिए। जो लोग किसी नदी या तालाब में स्नान के लिए नहीं जा सकते, वो घर पर ही अपने स्नान के पानी में पवित्र नदियों का आह्वाहन करके स्नान कर लें। ऐसा करने से आपके जीवन से सारी परेशानियां दूर होंगी, हर प्रकार के भय से छुटकारा मिलेगा और सुख-साधनों में बढ़ोतरी होगी। आइए जानते हैं कालाष्टमी व्रत की पूजा- विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में। 

कब है कालाष्टमी?

इस बार कालाष्टमी 18 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन काल भैरव की पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन कृष्ण जन्माष्टमी भी मनायी जायेगी। 

शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि आज रात 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी।  आज रात 9 बजे तक ध्रुव योग रहेगा।  साथ ही आज देर रात 1 बजकर 53 मिनट तक कृत्तिका नक्षत्र रहेगा। 

पूजा- विधि

  • कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें।
  • उसके बाद भगवान भैरव की पूजा- अर्चना करें। 
  • इस दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती औरभगवान गणेश की भी विधि- विधान से पूजा- अर्चना करनी चाहिए। 
  • फिर घर के मंदिर में दीपक जलाएं आरती करें और भगवान को भोग भी लगाएं। 
  • इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है।

कालाष्टमी व्रत का महत्व 

मान्यताओं के अनुसार, कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन व्रत करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है साथ ही भैरव भगवान की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है।

कालाष्टमी व्रत मंत्र

शिवपुराण में कालभैरव की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जप करना बेहद फलदायी माना गया है। 

अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!

अन्य मंत्र:

ओम भयहरणं च भैरव:।
ओम कालभैरवाय नम:।
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है। 

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