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Hindi News वायरल न्‍यूज यहां जल्द शादी के लिए रात में महिलाओं से पिटते हैं कुंवारे लड़के, 564 साल से चली आ रही यह परंपरा

यहां जल्द शादी के लिए रात में महिलाओं से पिटते हैं कुंवारे लड़के, 564 साल से चली आ रही यह परंपरा

क्या आपने इस अनोखे मेले के बारे में सुना है? जहां लड़के अपनी मर्जी से महिलाओं से पिटने के लिए आते हैं।

मेले में महिलाओं से मार खाते हुए पुरूष।- India TV Hindi Image Source : SOCIAL MEDIA मेले में महिलाओं से मार खाते हुए पुरूष।

भारत विविधताओं का देश है और यहां पर अलग-अलग अनूठी संस्कृति, परंपराएं और रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक परंपरा राजस्थान के जोधपुर में निभाया जाता है। यहां पर एक ऐसे मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें सिर्फ महिलाओं का राज होता है। यह मेला दुनिया का अनोखा मेला है और यह 16 दिन तक चलता है। 16 दिन के मेले के बाद सिहागिन महिलाएं पूरी रात सड़कों पर निकल कर बेंत से पुरूषों को पीटती हैं। इस मेले की खास बात ये है कि पुरूष खुद ही आराम से पीटते हैं और इसका कोई बुरा भी नहीं मानता। यह मेला हर साल जोधपुर में आयोजित होता है।

Image Source : Social Mediaमहिलाएं स्वांग रचाकर बाहर निकलती हैं।

जल्द शादी की उम्मीद में कुंवारे लड़के महिलाओं से पिटते हैं

इस मेले का नाम धींगा गवर मेला है। इस मेले में पुरूष अपनी मर्जी से महिलाओं से पिटने के लिए आते है। यहां ऐसी मानयता है कि महिलाओं से पिटने पर कुंवारे लड़कों की जल्द ही शादी हो जाती है। वहीं लोगों को लगता है कि इस मेले में महिलाओ से जो जितनी ज्यादा मार खाएगा, उसे अपना जीवन साथी उतनी ही जल्दी मिलेगा। इस मेले का एक अनूठा पहलू ये भी है कि जिन महिलाओं ने अपने पति को खो दिया है वो भी उत्सव में भाग लेती हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से उनके परिवारों में सुरक्षा और समृद्धि आती है। 

Image Source : Social Mediaमहिलाएं स्वांग रचाकर बाहर निकलती हैं।

16 दिनों तक होती है धींगा गवर की पूजा

इस 16 दिवसीय मेले में हर दिन धींगा गवर माता की पूजा होती है। पूजा करने वाली महिलाएं 12 घंटे तक निर्जला उपवास रखती हैं और दिन में सिर्फ एक टाइम ही खाना खाती हैं। इस पूजा की शुरूआत चैत्र शुक्ल की तृतीया से होती है और बैसाख कृष्ण पक्ष की तृतीया तक चलती है। इस पूजा में पहले महिलाएं दीवारों पर गवर का चित्र बनाती हैं और फिर कच्चे रंग से भगवान शिव, गणेश जी, मूषक, सूर्य, चंद्रमा और गगरी लिए महिला की कलाकृति बनाई जाती है। इस पूजा में 16 अंकों का विशेष महत्व होता है और 16 महिलाएं एक साथ पूजा करती हैं। ये संख्या न घटाई जा सकती है और ना ही बढ़ाई जा सकती है।

Image Source : Social Media16 दिनों तक चलती है पूजा।

564 साल पुरानी है यह परंपरा

यहां के लोगों का मानना है कि राव जोधा ने जब 1459 में जोधपुर की स्थापना की थी तभी से धींगा गवर का पूजा शुरू हुआ था। राज परिवार से ही इस पूजा की शुरूआत हुई थी। यह पूजा 564 सालों से चली आ रही है और जोधपुर के लोग इसे धूमधाम से मनाते हैं। ऐसी मान्यता भी है कि जब मां पार्वती ने सती होने के बाद दूसरा जन्म लिया था तब वह धींगा गवर के रूप में ही आईं थी। इस मेले में दुनिया भर से लोग घूमने के लिए आते हैं।  

Image Source : Social Mediaमहिलाएं स्वांग रचाकर बाहर निकलती हैं।

मेले की दिलचस्प बातें

  1. घींगा गवर की पूजा समाप्त होने के बाद अंतिम दिन रतजगा होता है। इसमें शहर की हर महिला अलग-अलग रूप में बाहर हाथों में बेंत लेकर निकलती हैं।
  2. सड़क पर ये महिलाएं सामने से जो भी पुरूष दिखाई देता है उन्हें बेंत से पीटती हैं। चाहे वह कोई समान्य पुरूष हो या कोई बड़ा आदमी। सभी लोग महिलाओं के हाथों से मार खाकर ही जाते हैं। इसका कोई बुरा नहीं मानता।
  3. लोगों का मानना है कि जिसे भी ज्यादा मार पड़ेगी उसकी शादी उतनी ही जल्दी होगी। 

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