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बिल्डरों की धोखाधड़ी से सुप्रीम कोर्ट खिन्न: कहा, ‘हमें भ्रष्टाचार में मौत की सजा देने अधिकार नहीं’

‘‘इतने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी केवल भारत में ही हो सकती है लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में मौत की सजा देने का अधिकार हमें नहीं है।’

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: May 01, 2019 22:28 IST
Supreme Court- India TV Paisa

Supreme Court

नयी दिल्ली: देश भर में लाखों मकान खरीदारों के साथ धोखाधड़ी में लिप्त आवास क्षेत्र की कंपनियों के ‘अपराध’ पर खिन्न हो कर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा , ‘ भ्रष्टाचार के लिए मौत की सजा देने का हमें अधिकार है नहीं..। रीयल एस्टेट कंपनियों द्वारा घर खरीदारों के साथ की जा रही धोखाधड़ी के मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि सरकारी अधिकारियों और बैंकों की मिलीभगत से बिल्डरों ने नियमों का उल्लंघन किया और देशभर में सटा सटा कर आसमान छूती इमारतें खड़ी कर दीं। 

उच्चतम न्यायालय ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और बैंकों को आड़े हाथों लेते हुये कहा कि उन्होंने आम्रपाली समूह सहित तमाम बिल्डरों द्वारा की गई गड़बड़ियों की तरफ आंखे मूंदे रखीं। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और यू यू ललित की पीठ ने घर खरीदारों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुये प्राधिकरणों से कहा कि यदि उन्होंने समय रहते कार्रवाई की होती तो कई परियोजनाओं को बचाया जा सकता था। घर खरीदार आम्रपाली समूह की विभिन्न परियोजनाओं में बुक किये गये 42,000 फ्लैट का कब्जा चाहते हैं। वे अपना मामला लेकर उच्चतम न्यायालय पहुंचे हैं। 

पीठ ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि रीयल एस्टेट क्षेत्र में किस तरह का भ्रष्टाचार चल रहा है और किस प्रकार बिल्डरों के साथ मिलीभगत से अधिकारियों को फायदा हो रहा है। नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जनता और उसके विश्वास के साथ व्यापक स्तर पर धोखाधड़ी की जा रही है।’’ ‘‘इतने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी केवल भारत में ही हो सकती है लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में मौत की सजा देने का अधिकार हमें नहीं है।’ न्यायालय की यह नाराजगी उस समय सामने आई जब नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि प्रधिकरण कुछ प्रक्रियायें अपना कर बिल्डरों और डेवलपरों द्वारा की जा रही गडबड़ियों पर नजर रखता है। 

प्रक्रिया को लेकर दी गई दलील पर पीठ ने नोएडा प्राधिकरण के अधिवक्ता से सवाल किया कि समय पर भुगतान नहीं करने अथवा नियमों का उल्लंघन करने वाले कितने बिल्डरों के पट्टे निरस्त किये गए। न्यायालय ने नाराजगी जताते हुये कहा, ‘‘नोएडा और ग्रेटर नोएडा के पूरे क्षेत्र को देख लें। यह इंदौर , भोपाल और अन्य शहरों , हर जगह हो रहा है। बिल्डर बैंकों और प्रशासन के साथ मिलीभगत से नियमों का उल्लंघन करते हुये आसमान छूती इमारतें खड़ी कर रहे हैं। इन इमारतों में निर्माणकार्य संपूर्ण होने का प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण उनको बेचना नहीं जा सकता।’’ 

अधिवक्ता ने कहा कि इस संबंध में वह प्राधिकरण से जानकारी लेगा लेकिन यह भी कहा कि पट्ट निरस्त किए जाने के मामले बिरले ही होंगे। इससे पहले घर खरीदारों की ओर से पेश अधिवक्ता कृष्णन वेणुगोपाल ने कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बिल्डरों को मात्र 10 प्रतिशत राशि का भुगतान करने पर ही पट्टे पर जमीन आवंटित कर देते हैं और बाकी राशि को किस्तों में लिया जाता है। शीर्ष अदालत ने 28 फरवरी को विभिन्न परियोजनाओं के घर खरीदारों की शिकायत पर दिल्ली पुलिस को आम्रपाली समूह के सीएमडी अनिल शर्मा और दो अन्य निदेशकों को गिरफ्तार करने की अनुमति दे दी थी।

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