
Higher taxes, other levies hurting luxury car sales; govt must address: Audi India head
नयी दिल्ली। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की ऊंची दर, आयात शुल्क और पंजीकरण कर की वजह से देश का लक्जरी कार क्षेत्र आगे नहीं बढ़ पा रहा है और सरकार को आगामी बजट 2020 में इनकी दरों में कटौती लानी चाहिए। जर्मनी की लक्जरी कार कंपनी आडी ने यह मांग की है। बीते साल यानी 2019 में कंपनी की बिक्री 28.92 प्रतिशत घटकर 4,594 इकाई रह गई, जो 2018 में 6,463 इकाई थी।
आडी इंडिया के प्रमुख बलबीर सिंह ढिल्लन ने कहा कि लक्जरी वाहन क्षेत्र की सभी कंपनियों की बिक्री बीते साल नीचे आई है। ढिल्लन ने कहा,'लक्जरी कारों की बिक्री जीएसटी की ऊंची दर, आयात शुल्क और पंजीकरण कर की वजह से प्रभावित हुई है। इस वजह से लक्जरी कार बाजार की कुल बाजार में हिस्सेदारी मात्र 1.2 प्रतिशत रह गई है।' उन्होंने कहा कि लक्जरी कार बाजार की प्रत्येक प्रमुख कंपनी की बिक्री पिछले साल घटी है।
ढिल्लन ने कहा कि ऐसे में हम सरकार-जीएसटी परिषद से जीएसटी दरों में कटौती की मांग करते हैं। इसके अलावा आयात शुल्क में भी कमी लाई जानी चाहिए और लक्जरी कारों के लिए पंजीकरण की लागत को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए। भारत के लक्जरी कार बाजार की पांच प्रमुख कंपनियां मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू, आडी, जेएलआर और वोल्वो हैं। 2018 में इन कंपनियों की कुल बिक्री 40,340 इकाई रही थी। 2019 में बिक्री का आंकड़ा और नीचे आने की आशंका है। अभी कई कंपनियों में भारत में अपनी बिक्री के आंकड़े जारी नहीं किए हैं।