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रणनीतिक सुधार और टीकाकरण से भारतीय अर्थव्यवस्था तेज रिकवरी के रास्ते पर: वित्त मंत्रालय

रिपोर्ट के मुताबिक निर्यात ने वित्त वर्ष 2021-22 में लगातार छठे महीने 30 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है और भारत में निवेश की मांग भी बढ़ रही है। विदेशी ऋण एवं जीडीपी अनुपात सहज बना हुआ है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : October 11, 2021 14:52 IST
 भारतीय अर्थव्यवस्था...- India TV Paisa
Photo:PTI

 भारतीय अर्थव्यवस्था तेज रिकवरी के रास्ते पर: वित्त मंत्रालय  

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार, रणनीतिक सुधारों और तेज टीकाकरण अभियान ने अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी की “विनाशकारी लहरों से उबरने” में सक्षम बनाकर देश को तेज पुनरुद्धार के रास्ते पर खड़ा कर दिया है। सितंबर की समीक्षा में कहा गया कि कृषि में निरंतर और मजबूत वृद्धि, विनिर्माण एवं उद्योग में तेज वापसी, सेवा से जुड़ी गतिविधि की बहाली तथा शानदार राजस्व से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था अच्छी प्रगति कर रही है। 

रिपोर्ट में कहा गया, "भारत अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दिख रहे वृद्धि के संकेतों के साथ तेजी से रिकवरी के रास्ते पर मजबूती के साथ लौट आया है। टीकाकरण अभियान में नए पड़ाव के साथ अब तक किए गए रणनीतिक सुधारों ने अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी की विनाशकारी लहरों से पार पाने में सक्षम बनाया है।" बाहरी क्षेत्र ने भारत के वृद्धि संबंधी रिकवरी के लिए उज्ज्वल संभावनाएं पेश करना जारी रखा है और देश के व्यापारिक निर्यात ने वित्त वर्ष 2021-22 में लगातार छठे महीने 30 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर में व्यापार घाटे के भी बढ़ने के साथ, खपत के स्पष्ट प्रमाण हैं और भारत में निवेश की मांग भी बढ़ रही है। विदेशी ऋण एवं जीडीपी अनुपात सहज बना हुआ है, जो मार्च 2021 के अंत में 21.1 प्रतिशत की तुलना में जून के अंत में गिरकर 20.2 प्रतिशत हो गया । 

रिपोर्ट में कहा गया कि अर्थव्यवस्था में वृद्धि की रफ्तार के साथ, बैंक ऋण की वृद्धि दर 10 सितंबर, 2021 को समाप्त पखवाड़े में सालाना आधार पर 6.7 प्रतिशत रही, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 5.3 प्रतिशत थी। आपूर्ति श्रृंखलाओं की बहाली, आवाजाही में सुधार और खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी के साथ, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति अगस्त 2021 में चार महीने के निचले स्तर 5.3 प्रतिशत पर वापस आ गयी। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति महामारी से प्रेरित और अस्थायी है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल बाजारों में अस्थिर कीमतों और खाद्य तेलों एवं धातु उत्पादों की कीमतों में वृद्धि चिंता का विषय बनी रह सकती है। 

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