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पराली न जलाने वाले किसानों को मिलेगी आर्थिक सहायता, नीति आयोग ने की सिफारिश

नीति आयोग द्वारा गठित एक कार्यबल ने पराली और अन्य फसल अवशेष से निपटने के उपाय सुझाये हैं। इसमें उन किसानों को वित्तीय समर्थन उपलब्ध कराने की वकालत की गयी है जिन्होंने अपने फसल अवशेष नहीं जलाए।

Manish Mishra Edited by: Manish Mishra
Updated on: April 03, 2018 16:00 IST
Crop Residue Burning- India TV Paisa

Crop Residue Burning

नई दिल्ली नीति आयोग द्वारा गठित एक कार्यबल ने पराली और अन्य फसल अवशेष से निपटने के उपाय सुझाये हैं। इसमें उन किसानों को वित्तीय समर्थन उपलब्ध कराने की वकालत की गयी है जिन्होंने अपने फसल अवशेष नहीं जलाए। कृषि अवशेष को जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है। इससे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत उत्तरी क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित होता है। नीति आयोग तथा उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा संयुक्त रूप से तैयार रिपोर्ट में फसल अवशेष को जुताई के जरिये मिट्टी में मिलाने पर जोर दिया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, किसानों को वित्तीय समर्थन प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली (डीबीटी) के जरिए हस्तांतरित की जा सकती है। फसल की कटाई और प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह सत्यापन किया जाना चाहिए कि किसानों ने फसल अवशेष नहीं जलाए। उसके बाद संबंधित राशि किसानों के खाते में डाली जा सकती है। इसमें कहा गया है कि योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत निगरानी और सत्यापन व्यवस्था महत्वपूर्ण है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि परियोजनाओं को व्यवहारिक बनाने के लिए कोष उपलब्ध कराने को लेकर स्वच्छ वायु प्रभाव कोष गठित किया जा सकता है। इसके अनुसार, यह जैव-ऊर्जा या बायो-एथेनॉल में विशेष रूप से प्रासंगिक है क्यों की इस क्षेत्र में सालाना पूंजीगत व्यय के 18 प्रतिशत से 30 प्रतिशत के बराबर वित्तीय समर्थन की जरूरत होती है।

इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गयी है कि स्वच्छ वायु प्रभाव कोष के लिए शुरुआती राशि राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष (एनसीईएफ) से उपलब्ध करायी जा सकती है। उल्लेखनीय है कि पंजाब और हरियाणा समेत अन्य उत्तरी एवं उत्तर पश्चिमी राज्यों में पराली एवं अन्य कृषि अवशेषों को जलाए जाने को वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारणा माना गया है। इससे निपटने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।

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