Sunday, December 15, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. नोटबंदी, जीएसटी से लघु उद्योगों के कर्ज, निर्यात में गिरावट, इस साल दिखा सुधार

नोटबंदी, जीएसटी से लघु उद्योगों के कर्ज, निर्यात में गिरावट, इस साल दिखा सुधार

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अध्ययन में पता चला है कि नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को दिए जाने वाले कर्ज में गिरावट आई।

Edited by: India TV News Desk
Published : August 18, 2018 7:34 IST
नोटबंदी, जीएसटी, लघु उद्योगों, कर्ज, निर्यात में गिरावट, आरबीआई, RBI- India TV Paisa
Photo:पीटीआई

नोटबंदी, जीएसटी से लघु उद्योगों के कर्ज, निर्यात में गिरावट, इस साल दिखा सुधार

मुंबई (महाराष्ट्र): भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अध्ययन में पता चला है कि नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को दिए जाने वाले कर्ज में गिरावट आई। हालांकि, जीएसटी का कर्ज पर ज्यादा बड़ा असर नहीं हुआ लेकिन अनुपालन की पेचीदगियों के चलते इससे निर्यात प्रभावित हुआ है। आरबीआई की मिनी स्ट्रीट मेमो रिपोर्ट में कहा गया है कि लघु उद्योगों को वितरित कर्ज 2017 के निचले स्तर से सुधर कर 2015 मध्य के बढ़े स्तर पर पहुंच गया। यद्यपि एमएसएमई क्षेत्र को बैंकों और एनबीएफसी द्वारा दिये गये कर्ज सहित सूक्ष्म ऋण में हाल की तिमाहियों में तेजी आई।

एमएसएमई क्षेत्र को देश की आर्थिक वृद्धि का एक महत्वपूर्ण इंजन माना जाता है और भारत के कुल निर्यात में इसका योगदान करीब 40 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लघु उद्योग क्षेत्र को नोटबंदी और माल एवं सेवा कर दोनों के कारण झटका लगा है। उदाहरण के लिए नोटबंदी के बाद वस्त्र और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में ठेके पर काम करने वाले श्रमिकों को भुगतान में नियोक्ताओं को दिक्कतें हुई। इसी प्रकार, जीएसटी के चलते अनुपालन लागत और अन्य परिचालन लागत में वृद्धि हुयी क्योंकि 60 प्रतिशत से अधिक छोटे उद्योग कर दायरे में आये। हालांकि, इनमें से 60 प्रतिशत नयी कर प्रणाली में समायोजित होने के लिये तैयार नहीं थे।

सिडबी के अध्ययन में पाया गया है कि नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद अधिकतर एमएसएमई के कर्ज में गिरावट आई लेकिन मार्च 2018 से इसमें सुधार दिखाई दे रहा है। इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन के अनुमान के मुताबिक, एमएसएमई में अधिक से अधिक पूंजी की संभावित मांग करीब 370 अरब डॉलर है जबकि वर्तमान में 139 अरब डॉलर की आपूर्ति की जा रही है। दोनों के बीच 230 अरब डॉलर का अंतर है, जो कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 11 प्रतिशत है। नवंबर 2016 से फरवरी 2017 तक ऋण वृद्धि में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई। माना जा रहा है कि इसकी वजह नोटबंदी रही। हालांकि, कर्ज में फरवरी 2017 के बाद सुधार देखा गया और जनवरी-मई 2018 में यह औसतन 8.5 प्रतिशत पर पहुंच गया।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement