Saturday, December 14, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. पाकिस्तान में महंगाई को लेकर जारी किए गए आंकडे, मुद्रास्फीति सितंबर में 9 फीसदी तक पहुंची

पाकिस्तान में महंगाई को लेकर जारी किए गए आंकडे, मुद्रास्फीति सितंबर में 9 फीसदी तक पहुंची

पाकिस्तान को लेकर बड़ी खबर है। इमरान खान एकबार फिर मुसीबत में है। दरअसल इस परेशानी का कारण नए आंकड़े है जो हाल ही में जारी किए गए है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : October 02, 2021 19:53 IST
पाकिस्तान में हाहाकार! इमरान खान की नई मुसीबत की जानकारी आई सामने- India TV Paisa
Photo:AP

पाकिस्तान में हाहाकार! इमरान खान की नई मुसीबत की जानकारी आई सामने

इस्लामाबाद: पाकिस्तान को लेकर बड़ी खबर है। इमरान खान एकबार फिर मुसीबत में है। दरअसल इस परेशानी का कारण नए आंकड़े है जो हाल ही में जारी किए गए है। यह आंकडे पाकिस्तान में महंगाई को लेकर है जो 3 महीने के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है। पाकिस्तान के सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले महीने रुपए में तेज गिरावट और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से प्रभावित उपभोक्ता कीमतें 3 महीने में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं है।

पाकिस्तान में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति अगस्त में 8.4 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर में 9 प्रतिशत तक जा पहुंची है। ऐसे समय में जब वैश्विक तेल की कीमतें पहले जैसे लाभ की तुलना में लगातार बढ़ रही है। वैश्विक तेल की कीमतें इस साल जनवरी में 40 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले 80 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं है।

पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में पिछले 3 महीनों में सब्जियों, फलों और मांस की कीमतों में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। जुलाई-सितंबर की अवधि के दौरान औसत मुद्रास्फीति सालाना आधार पर बढ़कर 8.58 प्रतिशत तक जा पहुंची है। मुख्य रूप से कृषि उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण अप्रैल में 11.1 प्रतिशत की वृद्धि के बाद मुद्रास्फीति में गिरावट शुरू हुई थी।

पाकिस्तान में 2020-21 में वार्षिक CPI मुद्रास्फीति पिछले वर्ष 10.74 फीसदी के मुकाबले 8.90 फीसदी दर्ज की गई थी। पिछले 2 वर्षों से चीनी और गेहूं के कम उत्पादन ने खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि में योगदान दिया है। दूसरी ओर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जिससे गैर-खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है।

भारत में महंगाई के आंकडे

भारत में भी सितंबर महीने में खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए गए थे। अनाज और सब्जियों सहित खाद्य उत्पादों के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में मामूली घटकर 5.3 प्रतिशत रह गई। हालांकि, खाद्य तेल के दाम में इस दौरान वृद्धि दर्ज की गई। यह लगातार तीसरा महीना है जबकि खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आई है और रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर के दायरे में बनी हुई है। उपभोक्ता मूल्यू सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने जुलाई में 5.59 प्रतिशत थी। वहीं एक साल पहले अगस्त में यह 6.69 प्रतिशत पर थी। 

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अगस्त में 3.11 प्रतिशत रही जो कि इससे पिछले महीने जुलाई में 3.96 प्रतिशत थी वहीं अगस्त, 2020 में यह 9.05 प्रतिशत के उच्चस्तर पर थी। खुदरा मुद्रास्फीति मई में बढ़कर 6.3 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई थी। अप्रैल में यह 4.23 प्रतिशत थी। उसके बाद से यह लगातार नीचे आ रही है। जून में खुदरा मुद्रास्फीति 6.26 प्रतिशत तथा जुलाई में 5.59 प्रतिशत रही। 

रिजर्व बैंक ने अगस्त में अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को यथावत रखा था। केंद्रीय बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पर निर्णय के लिए मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पर गौर करता है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है। 

एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों और अनाज एवं उत्पादों के दाम में क्रमश: 11.68 प्रतिशत और 1.42 प्रतिशत घट गई। लेकिन ‘तेल एवं वसा’ खंड में मूल्यवृद्धि एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 33 प्रतिशत रही। त्योहारी मौसम के दौरान खाद्य तेलों की कीमतों को काबू में रखने के लिए सरकार ने हाल में पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेलों पर मूल सीमा शुल्क घटा दिया है। 

उद्योग का मानना है कि इससे तेलों के खुदरा दाम चार से पांच रुपये प्रति लीटर घट जाएंगे। हालांकि, उपभोक्ताओं की जेब पर ‘ईंधन और प्रकाश’ खंड अब भी भारी बना हुआ है। इस खंड में मुद्रास्फीति 12.95 प्रतिशत रही। डीबीएस सिंगापुर की वरिष्ठ उपाध्यक्ष और अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि मुद्रास्फीति में गिरावट अनुकूल आधार प्रभाव तथा खाद्य वस्तुओं के दाम घटने की वजह से आई है। उन्होंने कहा कि तेल एवं वसा को छोड़कर अन्य उप खंडों की मुद्रास्फीति घटी है। 

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है। केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि दूसरी तिमाही में यह 5.9 प्रतिशत, तीसरी में 5.3 प्रतिशत और चौथी में 5.8 प्रतिशत रहेगी। वहीं, अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया।

कोटक महिंद्रा बैंक की वरिष्ठ उपाध्यक्ष उपासना भारद्वाज ने कहा कि मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के अनुमान की तुलना में अधिक अनुकूल और कम रहेगी। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के नरम रहने से नीति निर्माताओं को राहत मिलेगी और नीति के सामान्यीकरण की ओर से धीमी रफ्तार से चलने के लिए ज्यादा गुंजाइश होगी।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement