नयी दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड में नौ गैर-सरकारी निदेशकों की कमी है। इनमें से सात निदेशकों के पद ऐसे हैं, जिनपर विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रसिद्ध लोगों का मनोनयन किया जाता है। केंद्रीय बोर्ड रिजर्व बैंक के गवर्नर की अगुवाई वाला निर्णय लेने का शीर्ष निकाय है। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रसिद्ध लोग इसमें शामिल हैं। रिजर्व बैंक कानून के तहत सरकार आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड में चार निदेशकों के अलावा (चार स्थानीय बोर्डों में से एक-एक) विभिन्न क्षेत्रों के 10 प्रसिद्ध लोगों की नियुक्ति करती है।
सरकार अभी तक इनमें सात की नियुक्ति नहीं कर पाई है। वहीं पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र के स्थानीय बोर्ड से भी प्रतिनिधित्व का अभाव है। अभी सिर्फ चर्चित हस्तियों में टाटा संस के चेयरमेन नटराजन चंद्रशेखरन, बैंकर एस के मराठे तथा चार्टर्ड अकाउंटेंट तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति केंद्रीय बोर्ड में है। रिजर्व बैंक की वेबसाइट के अनुसार उनका मनोनयन रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 8(1) (सी) के तहत किया गया है।
स्थानीय बोर्डों से निदेशकों की बात की जाए, तो पूर्वी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सचिन चतुर्वेदी तथा उत्तरी क्षेत्र का रेवती अय्यर के पास है। वहीं दो अन्य निदेशकों के मनोनयन का इंतजार है। इन चार गैर-आधिकारिक निदेशकों की नियुक्ति चार साल के लिए की जाती है। इनकी पुन:नियुक्ति भी हो सकती है। पिछले साल जून में सरकार ने चंद्रशेखरन को तीन मार्च, 2020 से आगे दो साल के लिए फिर से गैर-आधिकारिक निदेशक नियुक्त किया था। इसके अलावा बोर्ड में दो सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति का प्रावधान है। इस श्रेणी में आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ तथा वित्तीय सेवा सचिव देवाशीर्ष पांडा को निदेशक नियुक्त किया गया है।