नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोत्तरी और रुपए में तेज गिरावट ने सरकार के माथे पर बल ला दिए हैं। दिनों दिन बढ़ती महंगाई से आम लोगों की परेशानी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। वहीं विपक्षी दल भी महंगाई के मोर्चे पर सरकार को घेरने का कोई मौका छोड़ने की फिराक में नहीं हैं। इसे देखते हुए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की आर्थिक स्थिति की समीक्षा के लिए अधिकारियों के साथ बैठक शुरू की। यहसमीक्षा बैठक शनिवार को भी जारी रहेगी। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा वित्त मंत्री अरुण जेटली , रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और नीति निर्धारण में शामिल होने वाले खास-खास अधिकारी शामिल हैं। आइए जानते हैं बैठक के मुद्दे और सरकार के सामने समाधान क्या हैं?
रुपए की गिरावट थामने के लिए क्या बढ़ेेंगी ब्याज दरें?
आर्थिक जानकारों ने सुझाव दिया है कि सरकार को इस समय निर्यात को प्रोत्साहित करने के उपायों के साथ साथ ब्याज दर बढ़ाने के उपाय भी करने चाहिए ताकि रुपये की विनिमय दर मजबूत हो। हालांकि वित्त मंत्रालय के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने कहा कि रिजर्व बैंक को रुपये की गिरावट थामने के लिए ब्याज दर बढ़ाने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस परिस्थिति से निपटने के लिए उसके पास पर्याप्त उपाय बचे हुए हैं। उन्होंने रिजर्व बैंक द्वारा परिस्थिति पर सतत नजर रखने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 400 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ मजबूत स्थिति में है।
क्या सरकार पेट्रोल से टैक्स घटाएगी?
पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि पेट्रोल और डीजल के दाम में दो रुपये लीटर की कमी करने के लिए 30,000 करोड़ रुपये का राजस्व छोड़ना पड़ेगा। सरकार इस समय राजकोषीय घाटे को बढ़ने की कोई छूट देना का जोखिम नहीं ले सकती। ऐसे में फिलहाल सरकार इस संबंध में कोई बड़ा कदम लेने के मूड में दिखाई नहीं दे रही है।
राजकोषीय घाटा काबू में करना चुनौती?
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 3.3 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है और उसको बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार का कहना है कि वह पेट्रोलियम कीमतों के मामले में ‘झटके में कोई फैसला नहीं करेगी।’
चालू खाते के घाटा बड़ी समस्या
भारत को कच्चे तेल की आवश्यकता का 80 प्रतिशत से अधिक आयात करना पड़ता है। पेट्रोलियम महंगा होने से व्यापार घाटा बढ़ रहा है और चालू खाते का घाटा भी पहली तिमाही 2.4 प्रतिशत तक पहुंच गया। अमेरिका में ब्याज दरें के बढ़ने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत जैसे बाजारों से पूंजी निकाल रहे है। इससे उनकी मुद्राओं की विनिमय दर और चालू खाते पर दबाव बढ़ा है। ऐसे माहौल में अगस्त में निर्यात में 19 प्रतिशत की वृद्धि के साथ व्यापार घाटे की स्थिति में अप्रत्याशित सुधार दिखा। अगस्त में यह घाटा 17.40 अरब डालर रहा। जुलाई में व्यापार घाटा 18.02 अरब डालर के बराबर था। अगस्त में निर्यात 19.21 प्रतिशत बढ कर 27.84 अरब डालर और आयात 25.41 प्रतिशत वृद्धि के साथ 45.24 अरब डालर रहा।
महंगाई का खतरा
सरकार को अभी राहत सिर्फ महंगाई के मोर्चे पर ही मिली है। अगस्त में मुद्रास्फीति के मोर्चे पर भी राहत रही। इस दौरान खुदरा मुद्रास्फीति 10- माह के न्यूनतम स्तर 3.69 प्रतिशत तथा थोक मुद्रास्फीति 4 माह के न्यूनत स्तर 4.53 प्रतिशत पर थी। चालू वित्त वर्ष की प्रथम तिमाही अप्रैल-जून में आर्थिक वृद्धि का 8.2 प्रतिशत का आंकड़ा भी उत्साहवर्धक रहा। लेकिन यदि ईंधन की कीमतें यूं ही बढ़ती रहीं तो हो सकता है कि आवश्यक सामान की कीमतें भी जल्द बढ़ जाएंगे। ऐसा होता है सरकार पर नया संकट खड़ा होगा।