देश में वंदे भारत एक्सप्रेस अपनी लॉन्चिंग के बाद से काफी सुर्खिया बटोर रही हैं। दिल्ली से वाराणसी के बीच शुरू हुई वंदे भारत के बाद देश के कई हिस्सों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। इस ट्रेन के आने के बाद देश में पहली बार रेल टूरिज्म को लेकर लोगों का उत्साह देखने को मिला।
लोग सिर्फ इस ट्रेन की रोमांचक स्पीड का मजा लेने के लिए ही इस पर बीते दो साल से सवारी कर रहे हैं। अब भारतीय रेल इसमें बड़े बदलाव करने जा रही है। अब आपको आने वालो समय में एल्युमिनियम से बनी वंदेभारत ट्रेनें रेल पटरियों पर हवा से बातें करते दिखाई दे सकती हैं।
एल्युमिनियम से बनीं 100 ट्रेनों का टेंडर
रेलवे तेजी से वंदे भारत ट्रेनों के बेड़े को बढ़ाने पर जोर दे रही है। रेलवे ने एल्युमिनियम से बनी 100 वंदे भारत एक्सप्रेसों के लिए टेंडर जारी किया है। हालांकि अभी तक एल्युमिनियम की 100 वंदे भारत ट्रेनों के लिए सिर्फ दो कंपनियों बोली लगाई है। इनमें हैदराबाद की मेधा सर्वो ड्राइव प्राइवेट लिमिटेड और स्विट्जरलैंड की स्टेडलर का संयुक्त उद्यम के अलावा रेलवे क्षेत्र की दिग्गज फ्रांसीसी बहुराष्ट्रीय कंपनी एल्स्टॉम शामिल हैं।
30000 करोड़ की होंगी ट्रेनें
सूत्रों ने बताया कि दोनों फर्मों ने 100 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण और 35 साल तक रखरखाव के 30,000 करोड़ रुपये के ठेके के लिए बोली लगाई है। उन्हें ट्रेन देते समय 13,000 करोड़ रुपये मिलेंगे, जबकि शेष रुपये 35 साल के बाद मिलेंगे। भारतीय रेल के हिसाब से ये बड़ा सौदा होगा। फिलहाल एलस्टॉम मेट्रो रेल के डिब्बे बनाती है। भारतीय रेल अपनी डिब्बा निर्माण इकाई के माध्यम से डिब्बों का निर्माण करती है।
क्या होगी इन डिब्बों की खासियत
सोनीपत में बनने वालीं एल्युमिनियम की वंदे भारत ट्रेन पारंपरिक स्टील की ट्रेन से हल्की होती है और कम बिजली खपत करती है। इसकी मदद से रेलवे को जहां एक ओर संचालन खर्च कम आएगा। वहीं ट्रेनों को ज्यादा तेजी से चलाने में मदद मिलेगी। बोलीदाताओं की कम संख्या के बारे में सूत्रों ने कहा कि देश में एल्युमिनियम ट्रेनों के निर्माण के विशेषज्ञ नहीं हैं। बृहस्पतिवार को दाखिल की गई तकनीकी बोली का मूल्यांकन किया जाएगा और उसके बाद विजेता के चयन के लिए वित्तीय बोली मांगी जाएगी।