EV Market Nitin Gadkari: इस समय भारत एक बड़ी समस्या से गुजर रहा है, उसका नाम है बेरोजगारी। केंद्र सरकार इसके समाधान के लिए काफी कोशिश कर रही है लेकिन जिस तरह के रिजल्ट की अपेक्षा है वैसा मिल नहीं पा रहा है। खैर! जल्द ही इसमें एक बड़ा सुधार होता दिखेगा। हम जानते हैं कि भारत सरकार की कोशिश देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को ईवी पर शिफ्ट करने की है। सरकार से लेकर कंपनियों के तरफ से कोशिश लगातार जारी है। एक रिपोर्ट में बदलते भारत की तस्वीर सामने आई है। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, भारत के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बाजार के 2030 तक एक करोड़ यूनिट वार्षिक बिक्री तक बढ़ने और 5 करोड़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करने की उम्मीद है।
देश की संसद में ईवी की पुकार
मंगलवार को संसद में पेश किए गए सर्वे में कहा गया है कि दिसंबर 2022 में भारत बिक्री के मामले में जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन गया। ऑटोमोटिव इंडस्ट्री से ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ने में ईवी इंडस्ट्री से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बाजार 2022 और 2030 के बीच 49 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने की उम्मीद है और कहा गया है कि 2030 तक वार्षिक बिक्री की एक करोड़ इकाइयों को हिट कर सकता है। बता दें, 2022 में भारत में कुल ईवी बिक्री लगभग 10 लाख यूनिट रही। ईवी इंडस्ट्री 2030 तक 5 करोड़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगी।
जलनी शुरु हो गई है जॉब की चिन्गारी
दिसंबर 2022 में भारत बिक्री के मामले में जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन गया। 2021 में भारत दोपहिया और तिपहिया वाहनों का सबसे बड़ा निर्माता और यात्री कारों का दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्माता था। इस क्षेत्र के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जाता है कि यह 2021 के अंत में 3.7 करोड़ का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करते हुए समग्र सकल घरेलू उत्पाद में 7.1 प्रतिशत और विनिर्माण सकल घरेलू उत्पाद में 49 प्रतिशत का योगदान देता है।
सरकार कर रही प्रोत्साहित
सरकार की फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) II योजना के तहत, 2019 और 2024 के बीच, 10,000 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ सर्वेक्षण में कहा गया है कि इस योजना ने 7.1 लाख ईवी को प्रोत्साहन दिया है, 7,210 ई-बसों को मंजूरी दी है, जिनमें से 2,172 ई-बसों को दिसंबर 2022 तक तैनात किया गया है। इस योजना में 1 मिलियन दोपहिया 0.5 मिलियन तिपहिया वाहनों का समर्थन करने की परिकल्पना की गई थी, जिसमें 55,000 कारें और 7,090 बसें हैं। ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) के अनुसार, ऑटो कंपोनेंट्स इंडस्ट्री ने 2022-23 की पहली छमाही में 34.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2.65 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि देखी, जो कि विशेष रूप से यात्री वाहनों के खंड से घरेलू मांग पर सवार थी। इस अवधि के दौरान कलपुर्जों का निर्यात 8.6 प्रतिशत बढ़कर 10.1 अरब डॉलर (79.03 लाख करोड़ रुपये) हो गया, जबकि आयात 17.2 प्रतिशत बढ़कर 10.1 अरब डॉलर (79.8 लाख करोड़ रुपये) हो गया। उद्योग ने 2021-22 में 4,20,621 करोड़ रुपये का कारोबार किया, जो 2020-21 में 3,40,733 करोड़ रुपये था।