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वैश्विक अनिश्चितता से महंगाई काबू करने की लड़ाई मुश्किल हुईः भारतीय रिजर्व बैंक

एमपीसी के ब्योरे के अनुसार पात्रा ने कहा, मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई वैश्विक नजरिए से जटिल है। पहले की आशंका की तुलना में अब एक सामान्य मंदी को लेकर कुछ आम सहमति बन रही है।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: February 22, 2023 21:07 IST
महंगाई - India TV Paisa
Photo:FILE महंगाई

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितता ने मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई को जटिल बना दिया है। उन्होंने यह बात इस महीने की शुरूआत में मौद्रिक नीति समिति की बैठक में कही। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का ब्य़ोरा बुधवार को जारी हुआ, जिसमें यह जानकारी दी गई। इस दौरान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि गैर-तेल जिंस कीमतों में बढ़ोतरी जैसे वैश्विक कारकों के चलते काफी अनिश्चितता है। आरबीआई ने 6-8 फरवरी को हुई एमपीसी की बैठक में मूल मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए नीतिगत दर रेपो 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था। आरबीआई ने पिछले साल मई के बाद से छठी बार ब्याज दर बढ़ाई। इस दौरान दरों में कुल 2.5 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई।

मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई वैश्विक नजरिए से जटिल

एमपीसी के ब्योरे के अनुसार पात्रा ने कहा, मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई वैश्विक नजरिए से जटिल है। पहले की आशंका की तुलना में अब एक सामान्य मंदी को लेकर कुछ आम सहमति बन रही है, हालांकि भौगोलिक असमानताएं पूर्वानुमान को जटिल बनाती हैं। कुल मिलाकर, वैश्विक मुद्रास्फीति का परिदृश्य पहले की तुलना में अधिक अनिश्चित हो रहा है। श्श् छह सदस्यों वाली एमपीसी के प्रमुख गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा कि कुल मिलाकर भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता, गैर-तेल जिंस कीमतों में तेजी, कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता और मौसम संबंधी उतार-चढ़ाव के कारण काफी अनिश्चितता है। उन्होंने कहा कि नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी से भविष्य की मौद्रिक नीति कार्रवाइयों के लिए गुंजाइश मिलेगी।

दो सदस्य नीतिगत दर में आगे बढ़ोतरी के पक्ष में नहीं

ब्योरे के मुताबिक एमपीसी के तीन बाहरी सदस्यों में दो सदस्य - जयंत आर वर्मा और आशिमा गोयल नीतिगत दर में आगे बढ़ोतरी के पक्ष में नहीं थे। तीसरे बाहरी सदस्य शशांक भिडे आरबीआई के तीन सदस्यों के साथ थे। यानी उन्होंने लगातार छठी बार प्रमुख नीतिगत दर बढ़ाने के लिए मतदान किया। ब्योरे के मुताबिक वर्मा ने कहा, 2021-22 की दूसरी छमाही में मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति को लेकर संतुष्ट थी, और हम 2022-23 में अस्वीकार्य रूप से उच्च मुद्रास्फीति के रूप में इसकी कीमत चुका रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2022-23 की दूसरी छमाही में मौद्रिक नीति वृद्धि के बारे में आत्मसंतुष्ट हो गई है और मैं आशा करता हूं कि हम 2023-24 में अस्वीकार्य रूप से कम वृद्धि के रूप में इसकी कीमत नहीं चुकाएंगे। वर्मा ने कहा, मेरा मानना है कि एमपीसी के बहुमत से रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी के दौरान मुद्रास्फीति के पूर्वानुमानों में हुई नरमी और बढ़ती वृद्धि चिंताओं के मौजूदा संदर्भ को ध्यान में नहीं रखा गया है। वर्मा भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद में प्राध्यापक हैं। छह सदस्यीय एमपीसी में आरबीआई के तीन अधिकारी - गवर्नर शक्तिकांत दास, डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा, और कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन शामिल हैं। केंद्र सरकार एमपीसी में तीन बाहरी सदस्यों की नियुक्ति करती है।

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