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  4. रिजर्व बैंक की बैठक से पहले ही महंगा हो गया कर्ज, ICICI सहित इन बैंकों ने बढ़ा दी ब्याज दरें

इन बैंकों ने चुपके से काट ली आपकी जेब, 1 अगस्त से महंगा कर दिया लोन

MCLR की बढ़ोत्तरी का सीधा असर सभी तरह के लोन (Bank Loan) पर पड़ेगा। ऐसे में यदि आपने कार लोन लिया हो।

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: August 02, 2023 16:41 IST
Rupee- India TV Paisa
Photo:FILE PHOTO Rupee

रिजर्व बैंक अगले हफ्ते ब्याज दरों को लेकर बड़ा फैसला लेने वाला है। बीते दो बार से, यानि 4 महीनों से रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। लेकिन इसके बावजूद बैंक लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। रिजर्व बैंक की बैठक में ब्याज दरें बढ़ें या न बढ़ें, लेकिन इस बीच देश के तीन बड़े बैंकों ने लोन महंगा कर दिया है। निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में इजाफा कर दिया है। इन बैंकों की ब्याज दरों में बढ़ोतरी से इसके ग्राहकों के होम लोन की ईएमआई बढ़ जाएंगी। 

बढ़ गई आपकी EMI

MCLR की बढ़ोत्तरी का सीधा असर सभी तरह के लोन (Bank Loan) पर पड़ेगा। ऐसे में यदि आपने कार लोन लिया हो, पर्सनल लोन या होम लोन लिया हो, सभी प्रकार की ब्‍याज दरें बढ़ गई है। बैंक ने 1 अगस्त ने नई ब्याज दरों को लागू कर दिया है। यानी अब इन बैंकों से लोन लेने वालों की ईएमआई (EMI) बढ़ जाएगी। 

ICICI की नई दरें 

ICICI बैंक ने MCLR में 5 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी कर दी है। बैंक ने 1 महीने का MCLR रेट को बढ़ाकर 8.40 प्रतिशत कर दिया है तो वहीं 3 महीने के लिए MCLR रेट 8.45 फीसदी, 6 महीने के लिए एमसीएलआर रेट 8.80 फीसदी और 1 साल के लिए 8.90 प्रतिशत हो गया है।

BOI की नई दरें

बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने एमसीएलआर में संशोधन करते हुए कुछ चुनिंदा अवधि पर एमसीएलआर दरों में बढ़ोतरी कर दी है। बैंक ऑफ इंडिया ने ओवरनाइट रेट 7.95 फीसदी, 1 महीने के लिए MCLR दर 8.15 फीसदी कर दिया है। इसी तरह से 3 महीने के लिए एमसीएलआर रेट 8.30 फीसदी तो 6 महीने की एमसीएलआर रेट 8.50 प्रतिशत पर पहुंच गया है। बैंक ने 1 साल के एमसीएलआर रेट में बढ़ोतरी कर इसे 8.70 फीसदी और तीन साल के लिए 8.90 फीसदी कर दिया है।

क्या होता है MCLR 

MCLR का फुल फॉर्म मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट है। एमसीएलआर प्रणाली की शुरुआत से पहले, बैंकों द्वारा ली जाने वाली ब्याज दरें ' आधार दर ' तंत्र पर आधारित थीं। आधार दर को बैंकों द्वारा न्यूनतम संभव उधार दर के रूप में दर्शाया गया है। आधार दर वास्तव में वह दर थी जिसके नीचे बैंकों के लिए ऋण देना संभव नहीं था।

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