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ग्लोबल इकोनॉमी में सुस्ती के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था भरेगी उड़ान, आई ये अच्छी रिपोर्ट

रिपोर्ट में अगले साल होने वाले आम चुनावों के पहले जीडीपी वृद्धि की राह में कुछ चुनौतियों को लेकर आगाह भी किया है। इनमें ग्लोबल ग्रोथ रेट में गिरावट से भारत के निर्यात में सुस्ती, ग्लेबाल इकोनॉमिक कंडीशन की वजह से पूंजी की लागत बढ़ना और मानसूनी बारिश में कमी के साथ विनिर्माण क्षेत्र की नरमी शामिल हैं।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Sep 20, 2023 17:03 IST, Updated : Sep 20, 2023 17:03 IST
GDP Growth - India TV Paisa
Photo:FILE जीडीपी वृद्धि

ग्लोबल इकोनॉमी में सुस्ती के बादल मडरा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भारतीय अर्थव्यवस्था सरपट तेज रफ्तार से दौड़ रही है। यह रफ्तार आने वाले दिनों में और बढ़ने वाली है। दरअसल, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान 5.9 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.2 प्रतिशत कर दिया है। रेटिंग एजेंसी ने बुधवार को कहा कि सरकार के बढ़े हुए पूंजीगत व्यय, घरेलू कंपनियों एवं बैंकों के बही-खातों में कर्ज की कमी, वैश्विक जिंस कीमतों में नरमी और निजी निवेश में तेजी की उम्मीद जैसे कई कारकों की वजह से उसने वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाया है।

आम चुनावों को लेकर अगाह भी किया

हालांकि, इंडिया रेटिंग्स ने अगले साल होने वाले आम चुनावों के पहले जीडीपी वृद्धि की राह में कुछ चुनौतियों को लेकर आगाह भी किया है। इनमें वैश्विक वृद्धि दर में गिरावट से भारत के निर्यात में सुस्ती, वित्तीय परिस्थितियों की वजह से पूंजी की लागत बढ़ना और मानसूनी बारिश में कमी के साथ विनिर्माण क्षेत्र की नरमी शामिल हैं। रेटिंग एजेंसी के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘‘ये सभी जोखिम वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी वृद्धि को प्रभावित और बाधित करना जारी रखेंगे। जून तिमाही में 7.8 प्रतिशत पर रही वृद्धि दर के अगली तीनों तिमाहियों में सुस्त पड़ने के ही आसार दिख रहे हैं।’’

कमजोर मानूसन चिंता का विषय  

भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी। इसके पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, उपभोग मांग व्यापक आधार वाली नहीं है और निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) 6.9 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 7.5 प्रतिशत था। निम्न आय वर्ग से संबंधित परिवारों की वास्तविक वेतनवृद्धि वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही से ही नकारात्मक रही है और सिर्फ अक्टूबर-दिसंबर, 2022 की तिमाही में ही यह मामूली रूप से बढ़ी है। रिपोर्ट कहती है कि उच्च आय वर्ग से संबंधित परिवारों की वास्तविक वेतनवृद्धि 9.5 प्रतिशत से 12.7 प्रतिशत के बीच रह सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश का निर्यात प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर रहा है जबकि सेवा क्षेत्र में सुधार हो रहा है। लेकिन मानसूनी वर्षा और औद्योगिक वृद्धि ‘चिंता का क्षेत्र’ बने हुए हैं। 

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