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बुलेट ट्रेन की स्पीड से भी तेज होगी हिंदुस्तान की तरक्की, वर्ल्ड की बेस्ट इकोनॉमी वाला देश बनेगा इंडिया

RBI Governor India: भारत की तरक्की आने वाले समय में और तेजी से बढ़ने जा रही है। इसके पीछे का कारण भी अब पता चल गया है। आरबीआई गवर्नर ने इसको लेकर जानकारी दी है।

Vikash Tiwary Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: June 14, 2023 11:24 IST
World's Best Economy- India TV Paisa
Photo:FILE World's Best Economy

World's Best Economy: अच्छे दिन आने वाले हैं या अच्छे दिन आ चुके हैं। यह कई बातों पर निर्भर करता है। जैसे- देश में महंगाई का क्या हाल है, रोजगार के मोर्चे पर देश कितना मजबूत है, सरकार के तरफ से दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ आम जनता को कितना मिल रहा है। ऐसे और भी कई सवाल हैं, जिसका जवाब मिलने के बाद ही अच्छे दिनों के बारे में एक सटीक जानकारी दी जा सकती है, लेकिन देश की इकोनॉमी किस स्पीड से बढ़ रही है। इसका अनुमान लगाया जा सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को विश्वास जताया कि भारत 2023 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा, जो चालू वित्तवर्ष में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। आरबीआई गवर्नर ने लंदन में सेंट्रल बैंकिंग द्वारा आयोजित समर मीटिंग्स में शुरुआती भाषण देते हुए कहा कि हम 2023-24 के दौरान वास्तविक जीडीपी में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद करते हैं।

महामारी के बाद शानदार ग्रोथ

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने महामारी के बाद शानदार ग्रोथ दर्ज किया है और 2020-21 में 5.8 प्रतिशत के संकुचन से 2021-22 में 9.1 प्रतिशत की वृद्धि और 2022-23 में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ जोरदार वापसी की है। राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों की संयुक्त प्रतिक्रिया ने त्वरित सुधार का काम किया है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग, डिजिटलीकरण, टैक्सेशन , विनिर्माण और श्रम से संबंधित विभिन्न संरचनात्मक सुधारों को पिछले कुछ वर्षो में लागू किया गया है, जिसने मध्यम और दीर्घावधि में मजबूत और सतत विकास की नींव रखी है।

इस वजह से मिल रही तरक्की

उन्होंने कहा कि सरकार का पूंजीगत व्यय पर लगातार जोर अतिरिक्त क्षमता पैदा कर रहा है और कॉर्पोरेट निवेश में बहुप्रतीक्षित पुनरुद्धार का पोषण कर रहा है। दास ने जोर देकर कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने भी खुलेपन में तेजी से लाभ कमाया है और पिछले कुछ वर्षो में धीरे-धीरे वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत हो गई है। नतीजतन, यह तेजी से वैश्विक विपरीत परिस्थितियों के सामने आ रहा है। हालांकि, यह ध्यान रखना उचित है कि पिछले कुछ वर्षो में भारत की वृद्धि मुख्य रूप से वैश्विक मंदी के बीच मजबूत घरेलू मांग, विशेष रूप से निजी खपत और निवेश से प्रेरित है। आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि संकट के दौरान सक्रिय और फुर्तीले होने से किसी को तेजी से विकसित हो रहे घटनाक्रमों का तेजी से जवाब देने की फुर्ती मिलती है।

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