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Budget 2024: बजट पेश होने से पहले बड़ी सी कड़ाही में क्यों बनाया जाता है हलवा? जानिए क्या है इसके पीछे वजह

बजट बनने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद और बजट पेश होने से पहले हलवा सेरेमनी मनाई जाती है। हलवा सेरेमनी बजट के दस्तावेजीकरण के बाद मनाई जाती है। यह सेरेमनी बजट प्रेस में मनाई जाती है। बजट प्रेस नॉर्थ ब्लॉक में नीचे बेसमेंट में है।

Written By: Pawan Jayaswal
Published : Jan 16, 2024 12:39 IST, Updated : Jan 16, 2024 12:41 IST
क्यों मनाई जाती है...- India TV Paisa
Photo:FILE क्यों मनाई जाती है हलवा सेरेमनी

Budget 2024 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगी। आम चुनाव वाले साल में पूर्ण बजट के बजाय अंतरिम बजट पेश किया जाता है। जब नई सरकार चुनकर आती है, तो उसकी पूर्ण बजट लाने की जिम्मेदारी होती है। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट होगा। हालांकि, अंतरिम बजट होने के चलते इसमें लोकलुभावन घोषणाएं आने की उम्मीद नहीं है। बजट की जब भी बात होती है, तो हलवा सेरेमनी का खयाल जरूर आता है। भारत में लंबे समय से बजट पेश करने से पहले हलवा सेरेमनी का आयोजन होता आ रहा है। आइए जानते हैं यह हलवा सेरेमेनी (Halwa Ceremony) क्या होती है।

10 दिन तक बेसमेंट में रहते हैं कर्मचारी

हलवा सेरेमनी बजट के दस्तावेजीकरण के बाद मनाई जाती है। यह सेरेमनी बजट प्रेस में मनाई जाती है। बजट प्रेस नॉर्थ ब्लॉक में नीचे बेसमेंट में है। बड़ी कढ़ाही में हलवा बनता है और सब लोग हलवा खाते हैं। इस सेरेमनी में वित्त मंत्री और वित्त मंत्रालय के सभी अधिकारी शामिल होते हैं। हलवा सेरेमनी के बाद बजट की छपाई शुरू हो जाती है। हलवा बनने के बाद बजट छापने वाले 100 से अधिक कर्मचारी और अधिकारी वहीं रहते हैं। ये लोग 10 दिन तक नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में ही रहते हैं। ये लोग वित्त मंत्री के बजट भाषण के बाद ही बाहर निकलते हैं। बजट से जुड़ी कोई भी जानकारी लीक ना हो, इसलिए यह नियम है।

क्यों बनता है हलवा?

हलवा सेरेमनी बजट की तैयारी पूरी हो जाने और वित्त मंत्री के बजट भाषण से पहले होती है। बजट बनाने में लगे लोगों की कई दिनों की मेहनत रंग लाती है, तो एक उत्साह का माहौल रहता है। भारतीय परंपरा में कोई भी अच्छा काम होने पर मीठा खाने और खिलाने की परंपरा है। हलावा खिलाकर बजट बनाने में लगे अधिकारियों का मुंह मीठा कराया जाता है। साल 2022 में कोरोना महामारी प्रोटोकॉल को देखते हुए हलवा सेरेमनी नहीं मनाई गई थी। उस साल बजट का दस्तावेजीकरण नहीं हुआ था। बल्कि इसे डिजिटल रूप से पेश किया गया था। उस समय हलवा सेरेमनी के बजाय मिठाई बांटी गई थी।

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