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40 लाख रुपये से कम के फ्लैट नहीं खरीद पाएंगे! इस वजह से आने वाला है यह संकट

माना जा रहा है कि बिल्डर अब अधिक मुनाफा कमाने के लिए लक्जरी आवासीय परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सस्ते मकानों में मुनाफे का मार्जिन भी कम रहता है। 1.5 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले लक्जरी घरों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। वास्तव में पिछले पांच साल में यह तीन गुना हो गई है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Oct 09, 2023 14:48 IST, Updated : Oct 09, 2023 16:27 IST
Flat booking F- India TV Paisa
Photo:FILE फ्लैट

देश में लाखों मध्यवर्गीय परिवार लंबे समय से अपना घर खरीदने के सपने पाल रखे हैं। वह इस सपने को इसलिए पूरा नहीं कर पा रहे हैं कि उनके बजट में घर नहीं मिल रहा है। बहुत सारे परिवार हमेशा इंतजार में रहते हैं कि कोई सरकारी स्कीम आएगी या कोई प्राइवेट डेवलपर्स सस्ते घर की स्कीम लॉन्च करेगा तो घर के सपने पूरा करेंगे। वैसे लोगों के लिए बुरी खबर है। दरअसल, बिल्डर अब 40 लाख रुपये या इससे कम कीमत के मकानों की पेशकश में कमी ला रहे हैं। प्रॉपर्टी सलाहकार फर्म एनारॉक की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। यानी बिल्डर सस्ते मकान बना ही नहीं रहे हैं। कुछ बिल्डर बना भी रहे हैं तो उनकी हिस्सेदारी काफी कम है। इससे मांग को पूरा करना संभव नहीं है। 

सस्ते मकानों की​ हिस्सेदारी घटकर मात्र 18% रह गई

आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश के सात प्रमुख शहरों में नए घरों की पेशकश में सस्ते या किफायती मकानों का हिस्सा घटकर मात्र 18 प्रतिशत रह गया है। जुलाई-सितंबर 2018 में कुल नए मकानों की पेशकश में सस्ते घरों की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत थी। एनारॉक के सात प्रमुख शहरों पर आंकड़ों के अनुसार, जुलाई-सितंबर 2023 के दौरान नए घरों की कुल आपूर्ति 1,16,220 इकाई रही। इसमें सस्ते या किफायती घरों का हिस्सा 20,920 इकाई या 18 प्रतिशत रहा। जुलाई-सितंबर 2018 में नए घरों की कुल आपूर्ति 52,120 इकाई थी, जिनमें से 21,900 (42 प्रतिशत) किफायती घर थे। वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में नई आपूर्ति में सस्ते घरों की हिस्सेदारी 41 प्रतिशत थी, जो 2021 की तीसरी तिमाही में घटकर 24 प्रतिशत रह गई। 

अधिक मुनाफा कमाने के लिए लक्जरी फ्लैट पर बिल्डर का जोर

एनारॉक की रिपोर्ट में सात शहरों दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगर क्षेत्र, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे के आंकड़ों को शामिल किया गया है। माना जा रहा है कि बिल्डर अब अधिक मुनाफा कमाने के लिए लक्जरी आवासीय परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सस्ते मकानों में मुनाफे का मार्जिन भी कम रहता है। इसके अलावा जमीन की ऊंची लागत की वजह से आज किफायती आवासीय परियोजनाएं बिल्डरों के लिए आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रह गई हैं। एनारॉक ने कहा कि जहां कुल नई आपूर्ति में किफायती घरों की हिस्सेदारी कम हो रही है, वहीं 1.5 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले लक्जरी घरों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। वास्तव में पिछले पांच साल में यह तीन गुना हो गई है। शीर्ष सात शहरों में जुलाई-सितंबर में पेश की गई 1,16,220 इकाइयों में से 27 प्रतिशत (31,180 इकाइयां) लक्जरी श्रेणी में थीं। 

लग्जरी घरों की मांग तेजी से बढ़ी

एनारॉक ने कहा, ‘‘यह पिछले पांच साल में लक्जरी मकानों की आपूर्ति का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।’’ वित्त वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में लक्जरी घरों की कुल आपूर्ति में हिस्सेदारी सिर्फ नौ प्रतिशत थी। उस समय पेश की गई 52,120 इकाइयों में से केवल 4,590 लक्जरी श्रेणी की थीं। एनारॉक समूह के क्षेत्रीय निदेशक एवं शोध- प्रमुख प्रशांत ठाकुर ने कहा, ‘‘महामारी के बाद शानदार प्रदर्शन के कारण डेवलपर्स लक्जरी आवास खंड को लेकर उत्साहित हैं।’’ ठाकुर ने कहा कि महामारी के बाद घर खरीदार बड़ा घर खरीदना चाहते हैं। इसके अलावा वे बेहतर सुविधाएं और अपनी पसंद की जगह पर घर खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

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