नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक SBI(स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) के ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है। अब स्टेट बैंक ग्राहकों को पैसों के लिए टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। अब ग्राहक अपनी बैंक जमा से ज्यादा पैसे भी निकाल सकते हैं। बैंक अपने ग्राहकों को आसान प्रक्रिया के साथ ओवरड्रॉफ्ट (Overdraft) की सुविधा प्रदान कर रहा है। यही ध्यान में रखते हुए इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको बताने जा रहा है कि आप किस तरह आसानी से अपनी जमा से ज्यादा रकम ओवर ड्राफ्ट के रूप में निकाल सकते हैं।
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ओवरड्राफ्ट की सुविधा क्या होती है?
ओवरड्राफ्ट की सुविधा उन खाताधारकों के लिए होती है, जिन्हें आवश्यक रूप से पैसे की जरूरत आन पड़ी होती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ओवरड्रफ्ट एक तरह का लोन होता है। इस पर ग्राहकों को ब्याज देना होता है। यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें ब्याज की गणना दैनिक आधार पर होती है। साथ ही तय अवधि के भीतर इस ओवरड्राफ्ट को चुकाने की भी जरूरत होती है। सिर्फ बैंक ही नहीं बल्कि नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) भी ओवरड्रॉफ्ट की सुविधा प्रदान कर सकते हैं। आपको कितना ओवर ड्राफ्ट प्राप्त हो सकता है, यह बात आपकी गुडविल या साख के आधार पर बैंक या एनबीएफसी तय करते हैं।
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कैसे मिलेगा ओवरड्राफ्ट
हमने आपको पहले ही बताया है कि बैंक ग्राहक की साख के अनुसार ओवरड्राफ्ट की राशि को तय करते हैं। कुछ बैंक अपने चुनिंदा ग्राहकों को प्रीअप्रूव्ड ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं। लेकिन अधिकांश ग्राहकों को ओवरड्राफ्ट के लिए बैंक या एनबीएफसी से मंजूरी लेनी होती है। पहले आपको लिखित में इसके लिए अप्लाई करना होता था, लेकिन डिजिटल बैंकिंग के जमाने में आपके पास इंटरनेट बैंकिंग के जरिए अप्लाई करने का भी विकल्प होता है। कुछ बैंक इस सुविधा के लिए प्रोसेसिंग फीस भी वसूलते हैं।
कितनी तरह के होते हैं ओवरड्राफ्ट
ओवरड्राफ्ट आमतौर पर दो तरह के होते हैं। पहला सिक्योर्ड ओवर ड्राफ्ट वहीं दूसरा अनसिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट। सिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट वह है, जिसके लिए सिक्योरिटी के तौर पर कुछ गिरवी रखा जाता है। आप एफडी, शेयर्स, घर, सैलरी, इंश्योरेंस पॉलिसी, बॉन्ड्स आदि जैसे चीजों पर ओवरड्राफ्ट हासिल कर सकते हैं। ऐसा करने पर ये सबस बैंक या NBFCs के पास गिरवी रहता है।
क्या है अनसिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट
अगर आपके पास कुछ भी सिक्योरिटी के तौर पर देने के लिए नहीं है तो भी आप ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी ले सकते हैं। इसे अनसिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट कहते हैं। उदाहरण के तौर पर क्रेडिट कार्ड से विदड्रॉल।
लोन से अलग है ओवरड्राफ्ट
ओवरड्राफ्ट लोन की तरह होता है लेकिन इसकी शर्तें लोन से अलग होती हैं। लोन की स्थिति में यदि आप उसे तय अवधि से पहले चुकाते हैं तो आपको प्रीपेमेंट चार्ज देना होता है। लेकिन ओवरड्राफ्ट के साथ ऐसा नहीं है। आप तय अवधि से पहले भी बिना कोई चार्ज दिए पैसे चुका सकते हैं। साथ इस पर ब्याज भी केवल उतने ही वक्त का देना होता है, जितने वक्त तक ओवरड्राफ्टेड अमाउंट आपके पास रहा। आप तय अवधि के अंदर कभी भी पैसे चुका सकते हैं। इसमें ईएमआई का भी झंझट नहीं होता है।