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  4. लोन की किस्त में देरी नहीं पड़ेगी जेब पर भारी? रिजर्व बैंक की ये कोशिश दे सकती है कर्जदारों को राहत

रिजर्व बैंक करने वाला है बड़ा बदलाव, लोन की किस्त में देरी नहीं पड़ेगी जेब पर भारी!

रिजर्व बैंक इसके लिए अलग गाइडलाइन जारी कर सकता है। 8 फरवरी को घोषित आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा में बताया गया था कि इस संबंध में जल्दी ही एक ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।

Sachin Chaturvedi Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: February 15, 2023 16:22 IST
Loan EMI Delay- India TV Paisa
Photo:FILE Loan EMI Delay

कर्ज की किस्ते भरने वाले लोगों के लिए ड्यू डेट वास्तव में टाइमबम के टाइमर जैसी होती है। आपको अपने बैंक अकाउंट में तय तिथि पर किस्त की निश्चित रकम भरकर देनी होती है। बढ़ती महंगाई और कोरोना जैसी आपदा के कारण कई लोग समय पर किस्तें नहीं चुका पा रहे हैं। किस्तें चुकानें में देरी के कारण बैंक ग्राहकों से भारी भरकम जुर्माना वसूलते हैं। मौजूदा ट्रेंड्स की बात करें तो बैंक EMI का एक से दो फीसदी पेनल्टी वसूलते हैं। लेकिन संभव है कि आने वाले समय में कर्जदारों को इस देरी के लिए जुर्माना भरने से राहत मिल जाए। इसके अलावा बैकों को जुर्मान को पूरी तरह से पारदर्शी रखना होगा और ग्राहकों को इसकी पूरी जानकारी देनी होगी। 

मीडिया में आई खबरों के अनुसार रिजर्व बैंक इसके लिए अलग गाइडलाइन जारी कर सकता है। 8 फरवरी को घोषित आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा में बताया गया था कि इस संबंध में जल्दी ही एक ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। इन दिशानिर्देशों पर रिजर्व बैंक सभी पक्षा सें राय मांगेगा। रिजर्व बैंक यह व्यवस्था करेगा कि बैंक देरी के चलते कोई भी जुर्माना पीनल इंटरेस्ट के रूप में नहीं वसूले। 

क्या होता है पीनल इंटरेस्ट 

यह राशि अक्सर ईएमआई की एक से दो फीसदी होती है। हालांकि यह विभिन्न बैंकों में अलग अलग होती है। बैंक इस पीनल इंटरेस्ट को लोन की मूल राशि में जोड़ देते हैं। इसलिए यह पता नहीं चल पाता है कि लोन की किस्त के भुगतान में देरी पर उनपर कितना जुर्माना लगा है।

किस्त में देरी चुकानी पड़ती है भारी

मौजूदा व्यवस्था के रूप में बैंक किस्त चुकाने में देरी की स्थिति में 2 प्रतिशत तक पीनल चार्ज वसूलते हैं। यदि आप कर्ज चुकाने में 60 दिनों की देरी करते हैं तो बैंक इसके बाद आपको नोटिस भेजता है। 60 दिनों से अधिक की देरी पर बैंक कर्ज को एनपीए घोषित कर देता है। इसके बाद बैंक कर्ज की वसूली के लिए रिकवरी एजेंट्स भेजते हैं। 

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