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क्या होता है कटऑफ टाइमिंग और इसका निवेशकों पर क्या होगा असर?

फिलहाल कट ऑफ टाइम में बदलाव अगले आदेश तक जारी रहेंगे

Sarabjeet Kaur Written by: Sarabjeet Kaur
Published on: May 01, 2020 22:51 IST
Mutual Fund- India TV Paisa

Mutual Fund

नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच सेबी ने नए गाइडलाइंस के मुताबिक म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए कट ऑफ टाइमिंग में बदलाव को आगे बढ़ा दिया है। पहले सेबी ने 7 अप्रैल 2020 से 30 अप्रैल 2020 के बीच समय का बदलाव किया था। लेकिन अब तारीखें अगले नोटिस तक बढ़ा दी गई है। हममें से कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने म्यूचुअल फंड में निवेश किया है और उनके फोन में म्यूचुअल फंड के द्वारा समय में बदलाव के मेसेज आने से या तो वो घबरा गए हैं और कुछ इस बात तो समझना चाह रहें हैं कि आखिर इस कटऑफ के समय में बदलाव से उनके निवेश में क्या फर्क पड़ेगा? अगर आपके मन में भी ये सवाल है तो हमारी इस रिपोर्ट के जरिए आप आसानी से समझ सकते हैं कि आखिर कटऑफ टाइमिंग का मतलब क्या है और इसे क्यों बढ़ाया गया है?साथ ही इसका हमारे निवेश पर क्या असर होगा?

क्या होता है कटऑफ टाइमिंग?

 

आपने जो भी निवेश म्यूचुअल फंड में किया है उस पर फंड यूनिट या उस फंड का मूल्य/ NAV (Net Asset Value)  कटऑफ टाइम के आधार पर तय होती है। दरअसल कट टाइम वो सीमा है जिसके आधार पर तय होता है कि आपको मूल्य पिछले दिन के आधार पर मिलेगा या उसी दिन के आधार पर। हर म्यूचुअल फंड को खरीदने और बेचने का एक कटऑफ समय होता है। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने बस उसी समय को घटा दिया है।

 

समय में बदलाव से क्या होगा असर:

·   मान लिजिए आपने लिक्विड फंड या ओवरनाइट फंड लिया है जिसका कटऑफ टाइम दोपहर 12:30 बजे है। अगर आपने कट ऑफ टाइम तक जमा किया है तो आपको पिछले दिन का मूल्य या एनएवी आपको मिलेगा। वहीं अगर कट ऑफ टाइमिंग के बाद लिया है या जमा किया हो तो उसी दिन का मूल्य या एनएवी मिलता है।

·   अगर निवेशक ने कटऑफ से पहले या समय के बीच रिडीम रिकवेस्ट सब्मिट किया तो उसी दिन का मूल्य या एनएवी मिलेगा। अगर कटऑफ टाइमिंग के बाद किया है तो अगले दिन का मूल्य या एनएवी मिलता है। साहिल अरोड़ा, डायरेक्टर, पैसाबाजार डॉट कॉम के मुताबिक “निवेशक अगर फंड से रिडिम करता है तो एनएवी उसी दिन के ट्रांजेक्शन से मिलेगा और अगर कटऑफ टाइम के बाद करता है रीडीम या खरीद तो अगले दिन के टाइमिंग के हिसाब से एनएवी तय होगा”.

·   हर म्यूचुअल फंड का कटऑफ टाइमिंग नियम के अनुसार ही लागू होगें।

·   सेबी ने कटऑफ टाइमिंग को दो घंटे घटा दिया है।

क्या निवेशकों को कट-ऑफ़ टाइमिंग के हिसाब से म्यूचुअल फंड में निवेश या बिक्री करनी चाहिए?

·   अगर आप बड़ी रकम से फंड में निवेश या बिक्री करना चाहते हैं तो आपको कटऑफ टाइमिंग को ध्यान में रखकर निवेश करना चाहिए।

·   लंबी अवधि वाले निवेशकों के लिए कटऑफ टाइमिंग पर ध्यान देना होता है क्योंकि उसी के हिसाब से आपके फंड का मूल्य/NAV तय होकर मिलता है।

·   छोटे निवेशकों और शॉर्ट टर्म के लिए फंड में निवेश करने वालों को कटऑफ टाइमिंग को लेकर परेशान होने की जरुरत नहीं पड़ती।

·   छोटे निवेशकों को कटऑफ टाइमिंग के बदलाव से कोई खास असर नहीं पड़ता है।

म्यूचुअल फंड द्वारा मैसेज आने पर निवेशकों को घबराने की जरुरत नहीं है। लॉकडाउन के वजह से बैंक और फंड हाउसेज के समय में बदलाव के वजह से ये फैसला सेबी द्वारा लिया गया है। किसी भी फंड की जानकारी के लिए अपने निवेश सलाहकार से जरुर मदद लें।

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