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बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए मल्टी एसेट फंड है सही, ऐसे चुनें बेस्ट MF स्कीम

मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड वे होते हैं जो अपनी पूंजी को इक्विटी, डेट और कमोडिटी जैसे कई एसेट क्लास में निवेश करते हैं। यह फंड बाजार में उतार-चढ़ाव के समय निवेशकों को सही रिटर्न दिलान में मदद करता है। साथ ही निवेश पर जोखिम भी कम करता है। इसलिए लंबी अवधि में यह स्कीम शानदार रिटर्न देता है।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: October 09, 2023 11:51 IST
Mutual Funds- India TV Paisa
Photo:INDIA TV म्यूचुअल फंड

पिछले कुछ महीनों में निवेशक मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड की ओर रुख कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि मौजूदा आर्थिक माहौल थोड़ा डांवाडोल नजर आ रहा है। रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद अब इजरायल और फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास के बीच जंग छिड़ गई है। इससे ग्लोबल हालात और खराब होने का खतरा बढ़ा गया है। इससे शेयर मार्केट में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। वहीं दूसरी ओर, वैश्विक कारण से महंगाई बढ़ रही है, ब्याज दरें ऊंची हैं और मंदी का डर छाया हुआ है। ऐसे समय में, निवेशकों के बीच मल्टी एसेट फंड को स्थिर रिटर्न के लिए एक सुरक्षित दांव माना जा रहा है। 

क्या होता है मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड?

मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड वे होते हैं जो अपनी पूंजी को इक्विटी, डेट और कमोडिटी जैसे कई एसेट क्लास में निवेश करते हैं। नियम तो यह है कि फंड मैनेजर को इनमें से प्रत्येक एसेट क्लास में कम से कम 10% कॉर्पस का निवेश करना होगा। लेकिन क्या यह वास्तव में इसे एक बेहतर मल्टी एसेट फंड बनाता है? उदाहरण के लिए, जब शेयर बाजार में गिरावट की स्थिति चल रही हो तो इक्विटी में 80% और डेट तथा कमोडिटी में केवल 10% का निवेश, फंड के प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। एक सही मल्टी एसेट म्यूचुअल फंड वह है जो 'पूर्वनिर्धारित' तरीके से सभी एसेट में निवेश करता है।

किस फंड में निवेशकों को कितना मिला रिटर्न

पिछले एक साल में एसबीआई, टाटा और एचडीएफसी के मल्टी एसेट फंड ने 18.53%, 18.18% और 16.23% का रिटर्न दिया, जबकि निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड ने 18.54% का रिटर्न दिया। वित्तीय मामलों के योजना बनाने वाले एक्स्पर्ट्स निवेशकों को सलाह देते हैं कि उनके पोर्टफोलियो को एसेट क्लासेस में विविधता लाने की आवश्यकता है, ताकि उतार चढ़ाव के समय में भी न केवल उनका निवेश सुरक्षित रहे बल्कि उन्हें अच्छा रिटर्न भी मिले। इसके साथ ही मल्टी एसेट फंड चुनते समय, उन्हें ऐसे फंड में निवेश करना चाहिए जो वाकई इसकी थीम के अनुरूप हो।

एसेट एलाकेशन के फॉर्मूले का पालन जरूरी

एडवाइजर खोज के को-फाउंडर द्वैपायन बोस कहते हैं कि पूर्व-निर्धारित एसेट एलोकेशन सही विविधीकरण (diversification) सुनिश्चित करता है और इसलिए एसेट क्लास का अनुपात मार्केट की परिस्थितियों के अनुसार नहीं बदलना चाहिए। निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड का उदाहरण लें। यह एकमात्र मल्टी एसेट फंड है जो चार एसेट क्लासों में निश्चित अनुपात में निवेश करता है। यह भारत की इक्विटी ( ग्रोथ ) पर में 50%, डेट (रिलेटिव स्टबिलिटी) में 15%, कमोडिटीज में 15% (इक्विटी के साथ कम जुड़ाव) और शेष 20% विदेशी इक्विटी (ग्लोबल ग्रोथ की संभावनाओं) में निवेश करता है। 50:20:15:15 के एलोकेशन का यह फार्मूला (मार्केट की परिस्थितियां चाहे जैसी हो) इसे वास्तव में मल्टी एसेट फंड बनाता है। कोटक, यूटीआई और टाटा जैसे लगभग सभी अन्य मल्टी एसेट फंड अपने कॉर्पस को तीन एसेट क्लासों, इक्विटी, डेट और कमोडिटी में निवेश करते हैं और बड़े पैमाने पर एलोकेशन के फॉर्मूले का हमेशा पालन नहीं करते हैं।

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