रियल्टी सेक्टर ने कहा कि यह कदम इस क्षेत्र में निवेश की इच्छुक कंपनियों और संभावित खरीदारों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा। स्थिर ब्याज दरें अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद हैं और सकारात्मक उपभोक्ता भावनाओं के अनुकूल हैं।
RBI ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई के अनुमान 4.5 प्रतिशत पर रखा है। यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 5.4 प्रतिशत के अनुमान से कम है। यानी इस वित्त वर्ष में महंगाई में कमी आएगी। यह महंगाई के मोर्चे पर राहत की खबर है।
रेपो रेट पर निर्णय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक समीक्षा बैठक बुधवार को शुरू हुई थी। तीन दिन तक चले इस बैठक के बाद आज केंद्रीय बैंक रेपो रेट पर अपना फैसला सुनाएगी।
RBI MPC: देश की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023-24 की दिसंबर तिमाही में 8.4 प्रतिशत रही। इक्रा का मानना है कि नीतिगत स्तर पर रुख में अगस्त 2024 से पहले बदलाव होने की संभावना नहीं है। उस समय तक मानसून को लेकर स्थिति साफ होगी। साथ ही आर्थिक वृद्धि तथा अमेरिकी केंद्रीय बैंक का नीतिगत दर को लेकर रुख भी साफ हो जाएगा।
पीयूष गोयल ने कहा कि भारत में 10 साल की औसत महंगाई दर करीब 5 से 5.5 प्रतिशत रही है। यह सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला दशक था।
लंबे समय से लोन की ईएमआई कम होने का इंतजार कर रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है। फाइनली लोन की ईएमआई कब कम होगी, इस बात की जानकारी मिल गई है। दुनियाभर समेत भारत में महंगाई कम होने से लोन सस्ता होने की उम्मीद बढ़ गई है।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने का कहना है कि शुक्रवार को आई मोनेटरी पॉलिसी में यथास्थिति उम्मीद के मुताबिक ही है, और पिछली नीतियों की तुलना में आरबीआई कैश मैनेजमेंट पर कम आक्रामक दिखा है।
रियल एस्टेट सेक्टर में कुछ समय से जारी तेजी को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इस तिमाही में भी बरकरार रखने की उम्मीद दी है। आरबीआई ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद इस वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में रेपो रेट नहीं बढ़ाने का ऐलान किया है। आरबीआई ने इस तिमाही भी रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का ऐलान कि
आपको बता दें कि आरबीआई ने पिछली पांच मौद्रिक नीति समीक्षाओं में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है। अंतिम बार फरवरी में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था। उस समय से रेपो रेट स्थिर बना हुआ है।
रूस-यूक्रेन युद्ध और उसके चलते ग्लोबल सप्लाई बाधित होने से महंगाई बढ़ने के कारण मई, 2022 से शुरू हुआ नीतिगत दर में बढ़ोतरी का सिलसिला एक तरह से थम गया।
नारेडको के राष्ट्रीय वाइस चेयरमैन निरंजन हीरानंदानी ने भी नीतिगत दर को यथावत रखने की सराहना की और कहा, नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर रखना आर्थिक वृद्धि में तेजी को बनाए रखते हुए मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के महत्व को दर्शाता है। उन्होंने कहा, त्योहारों के दौरान आवास ऋण की मांग में उछाल रहने की उम्मीद है।
इक्रा लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (वित्तीय क्षेत्र रेटिंग) कार्तिक श्रीनिवासन ने भी उम्मीद जताई कि एमपीसी नीतिगत दर को स्थिर रखेगी। उन्होंने कहा, ‘‘सितंबर के दूसरे पखवाड़े में नकदी में जो सख्ती देखी गई, वह जारी रहने की संभावना नहीं है।
RBI ने बृहस्पतिवार को लगातार तीसरी नीति बैठक में अपनी प्रमुख ब्याज दर रेपो को अपरिवर्तित रखा
रिजर्व बैंक ने होम, कार लोन समेत तमाम तरह के लोन लेने वालों को बड़ी राहत देते हुए रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 6.5% पर बना रहेगा।
Rbi Repo Rate: देश की आम जनता पर एक बार फिर महंगाई की मार पड़ने जा रही है। इस बार RBI के रेपो रेट की बैठक में कुछ बड़ा फैसला देखने को मिल सकता है।
आपको बता दें कि रेपो रेट बढ़ने से बैंकोंं को कर्ज लेना महंगा हो जाता है। इसके चलते लाखों लोगों की ईएमआई बढ़ जाती है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई।
आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 8-10 अगस्त को होगी।
महंगाई को काबू में लाने के लिये रिजर्व बैंक पिछले साल मई से इस साल फरवरी तक रेपो दर में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।
MPC Meeting Repo Rate: आरबीआई गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट को लेकर अपना फैसला सुना दिया है। देश महंगाई को लेकर भी जानकारी दी गई है। आइए बैठक से जुड़ी 5 अहम बातें जानते हैं।
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