
BPCL LPG customers to continue getting subsidy post privatisation
नई दिल्ली। विनिवेश के लिए प्रक्रियाधीन भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने अपने रसोई गैस ऑपरेशन के लिए एक अलग से प्लेटफॉर्म बनाया है जो सरकार की सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर स्कीम को चलाएगा। इस प्लेटफॉर्म के जरिये सब्सिडी की राशि को उपभोक्ता के सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाएगा। बिक्री प्रक्रिया पूरी होने के बाद नए मालिक को सब्सिडी स्कीम को निरंतर चालू बनाए रखने में कोई परेशानी न हो इसके लिए नए प्लेटफॉर्म का निर्माण करना जरूरी था। इस नए प्लेटफॉर्म के माध्यम से सरकार बीपीएसएल के निजीकरण के बाद भी रसोई गैस उपभोक्ताओं को सब्सिडी का ट्रांसफर करना जारी रख पाएगी।
सरकार बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.97 प्रतिशत हिस्सेदारी एक रणनीतिक निवेशक को बेच रही है। संभावित निवेशकों के बीच इस बात को लेकर आशंका है कि बीपीसीएल का प्रबंधन नए निजी क्षेत्र के मालिक के हाथ में आने के बाद कैसे सब्सिडी वाले रसोई गैस योजना का परिचालन होगा। यदि कंपनियां सब्सिडी का बोझ अपने ऊपर लेती हैं तो इससे बीपीसीएल के मूल्यांकन में संशोधन करना होगा।
अब यह निर्णय लिया गया है कि रसोई गैस उपभोक्ताओं को बीपीसीएल के बिकने के बाद भी उनके बैंक खाते में सब्सिडी का ट्रांसफर निरंतर जारी रखा जाएगा। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मौजूदा व्यवस्था, जहां तेल कंपनियां सब्सिडी राशि का भुगतान करती हैं और सरकार इस भुगतान की प्रतिपूर्ति करती है, आगे भी चालू रहेगी।
एक नए प्लेटफॉर्म के निर्माण से सब्सिडी वाले रसोई गैस परिचालन को अलग से चलाने में मदद मिलेगी। यह प्लेटफॉर्म नए मालिक के साथ बिना किसी गलतफहमी के लाभार्थी की पहचान और सब्सिडी के ट्रांसफर में मदद करेगा। प्राइवेट तेल कंपनियों जैसे रिलायंस, नायरा एनर्जी को रसोई गैस के लिए सरकार की तरफ से कोई सब्सिडी समर्थन नहीं दिया जाता है। ऐसे में यदि ये कंपनियां घरेलू एलपीजी सिलेंडर की बिक्री करती हैं तो यह बिक्री बाजार मूल्य पर ही होगी।
सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी के तौर पर 12,995 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इससे पूर्व वित्त वर्ष में यह आवंटन 40,000 करोड़ रुपये का था। बीपीसीएल के संबंध में, सरकार जल्द ही संभावित निवेशकों से कीमत को लेकर बोलियां आमंत्रित करेगी। वेदांता ग्रुप के अलावा, दो अमेरिकन फंड्स- अपोलो ग्लोबल और आई स्क्वार्ड कैपिटल ने बीपीसीएल के लिए अपने अभिरुचि पत्र जमा किए हैं।
जटिल प्रक्रियाओं के कारण बीपीसीएल के निजीकरण में हो सकती है देरी
रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने सोमवार को कहा कि बोलीदाता समूह को लेकर अनिश्चितता और मूल्यांकन समेत जटिल प्रक्रिया को देखते हुए भारत की सबसे बड़ी खुदरा ईंधन कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि.(बीपीसीएल) के निजीकरण में देरी हो सकती है। फिच ने बीपीसीएल को नकारात्मक परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी-’ रेटिंग दी हुई है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि बोलीदाता जांच-पड़ताल का काम कर रहे हैं। लेकिन बोलीदाता समूह और मूल्यांकन समेत जटिल प्रक्रियाओं को देखते हुए निजीकरण में विलम्ब हो सकता है।
उसने कहा कि हमारा मानना है कि आगे कोविड-19 की तीसरी लहर और वैश्विक तेल तथा गैस कंपनियों के ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव पर ध्यान केंद्रित करने से क्षेत्र में संभावित बड़े अधिग्रहण के समय और मूल्यांकन को लेकर अनिश्चितता दिखाई दे रही है। फिच ने कहा कि मामले में उल्लेखनीय प्रगति होने पर वह कंपनी को दी गई रेटिंग की समीक्षा करेगी। फिच ने कहा कि बीपीसीएल की बिक्री 2021-22 में सुधकर 4.3 करोड़ टन रह सकती है जो इससे पूर्व वित्त वर्ष 2020-21 में 4.1 करोड़ टन थी। हालांकि चालू वित्त वर्ष की बिक्री का अनुमान कोविड-पूर्व स्तर 2019-20 के मुकाबले 6 प्रतिशत कम है।
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