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पेट्रोल और डीजल कीमतों में जल्द राहत की उम्मीद घटी, जानिए क्या है वजह

अमेरिका के कच्चे तेल के भंडार में अनुमान से तेज गिरावट देखने को मिली है। दिसंबर 11 को खत्म हुए हफ्ते में क्रूड इन्वेंटरी 31 लाख बैरल घट गई। हालांकि पहले 19 लाख बैरल की कमी का अनुमान था।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: December 17, 2020 18:30 IST
कच्चे तेल की कीमतों...- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल

नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जल्द राहत की उम्मीद कम हो गई हैं। दरअसल अमेरिका में कच्चे तेल के भंडार में अनुमान से तेज गिरावट आने के बाद क्रूड की कीमत 9 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गईं। भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें सीधे तौर पर विदेशी बाजारों की कीमतों से तय होती हैं। ऐसे में अगर क्रूड की कीमतें बढ़ती हैं तो देश में ईंधन की कीमतों पर भी दबाव देखने को मिल सकता है।

कहां पहुंची कच्चे तेल की कीमतें

फिलहाल ब्रेंट क्रूड 51 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से ऊपर कारोबार कर रहा है, वहीं डब्लूटीआई क्रूड 48 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के करीब है। फरवरी 2021 कॉन्ट्रैक्ट के लिए ब्रेंट आज के कारोबार के दौरान 51.9 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंचा। निचले स्तरों पर भी कीमतें 51 डॉलर के ऊपर ही बनी रहीं। वहीं डब्लूटीआई भी बढ़त के साथ 48 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया। फिलहाल कीमतें 48 डॉलर प्रति बैरल के करीब ही हैं।

क्यों आई कीमतों में तेजी

रॉयटर्स की खबर के मुताबिक अमेरिका के कच्चे तेल के भंडार में अनुमान से तेज गिरावट देखने को मिली है। दिसंबर 11 को खत्म हुए हफ्ते में क्रूड इन्वेंटरी 31 लाख बैरल घट गई। हालांकि पहले 19 लाख बैरल की कमी का अनुमान था। अमेरिका में नए राहत पैकेज के ऐलान से अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद, ठंड की वजह से ईंधन की बढ़ती मांग और डॉलर में कमजोरी से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिला है।

क्या होगा भारत में कीमतों पर असर

भारत अपनी जरूरतों का अधिकांश कच्चा तेल आयात करता है, जिससे क्रूड कीमतों में बदलाव का पेट्रोल और डीजल कीमतों पर सीधा असर देखने को मिलता है। ईंधन की कीमतों में क्रूड की कीमत, एक्साइज ड्यूटी, वैट, डीलर कमीशन शामिल होते हैं। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त पर सरकार के पास एक विकल्प रहता है कि वो ग्राहकों को राहत देने के लिए अन्य शुल्क को घटा कर खुदरा कीमतों को स्थिर रखे या कम करे। हालांकि कोरोना संकट की वजह से आय पर पड़े दबाव और बढ़ते खर्च को देखते हुए सरकार के लिए ये आसान नहीं होगा कि वो शुल्क में कटौती करे। ऐसे में अगर क्रूड कीमतों में बढ़त जारी रहती है तो पेट्रोल और डीजल कीमतों पर इसका बुरा असर देखने को मिलेगा।  

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