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उद्योगों को मिलने वाली रियायतों पर राजन ने उठाया सवाल

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने उद्योगों को दिए जाने वाले स्टिमुलस पर सवाल उठाया है। कहा कि किसी उद्योग खत्म करने का पक्का इंतजाम करने जैसा है।

Sachin Chaturvedi Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: May 12, 2016 16:28 IST
उद्योगों को मिलने वाली रियायतों पर राजन ने उठाया सवाल, कहा इंडस्‍ट्री को बर्बाद कर देंगे ये पैकेज- India TV Paisa
उद्योगों को मिलने वाली रियायतों पर राजन ने उठाया सवाल, कहा इंडस्‍ट्री को बर्बाद कर देंगे ये पैकेज

नई दिल्‍ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने उद्योगों को दिए जाने वाले स्टिमुलस(रियायत) पर सवाल उठाया है। लंदन में प्रकाशित एक लेख में राजन ने उद्योग विशेष को रियायत देने की नीति का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि किसी उद्योगा के प्रोत्साहित करना उसे खत्म करने का पक्का इंतजाम करने जैसा है। इसलिए नीतिनिर्माताओं को किसी व्यवसाय की दिशा तय करने से बचना चाहिए। राजन ने बार बार सरकार से मदद की मांग करने की आदत पर उद्योगों को भी लताड़ लगाई है। उन्होंने वस्तु निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रपए की विनिमय दर घटाने की मांग का उल्लेख किया और कहा कि यह जरूरी नहीं है कि भारत के व्यापार नरमी मुद्रा की विनिमय दर की वजह से ही हो।

उद्योगों को खत्‍म करने का पहला कदम है रियायत

राजन ने कहा, मुझसे हमेशा पूछा जाता है कि हमें किन उद्योगों को प्रोत्साहित करना चाहिए। मैं कहूंगा कि किसी उद्योग को प्रोत्साहित करना इसे खत्म करने का सबसे अचूक तरीका है। नीति निर्माता के तौर पर हमारा काम है कारोबार गतिविधियों को अनुकूल बनाना न कि इसी दिशा तय करना। राजन ने कहा, भारत वृहत्-आर्थिक स्थिरता के लिए घरेलू मंच तैयार करने की कोशिश कर रहा है ताकि वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके और वाह्य उतार-चढ़ाव से अपने बाजारों की रक्षा हो।

विकसित देश मौद्रिक नीति के जरिए बढ़ा रहे हैं दबाव

आर्थिक मुद्दों पर अपनी बेलाग टिप्पणियों के लिए जाने वाले राजन ने लेख में कहा है कि विकसित अर्थव्यवस्थाएं मांग को प्रोत्साहित करने के लिए आक्रामक मौद्रिक नीतियों के जरिए भारत जैसी उभरती बाजार व्यवस्थओं के लिए जोखिम पैदा कर रही हैं। उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर एक दिन हम पूंजी प्रवाह में तेजी देखते हैं क्योंकि निवेशक जोखिम लेने में रचि दिखाते हैं और दूसरे दिन निकासी होती है क्योंकि उन्हें जोखिम लेना नहीं चाहते।

सूखे के बावजूद हमारी ग्रोथ संतोषजनक  

राजन ने कहा कि भारत ने वैश्विक वृद्धि की प्रतिकूल परिस्थितियों और लगातार दो साल के सूखे के बावजूद सात प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जबकि इससे पहले इनमें से एक भी वजह अर्थव्यवस्था को गर्त में पहुंचा सकती थी। उन्होंने कहा, इस बुनिया को मजबूत करने की जरूरत है और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के और अधिक प्रतिस्पर्धी होने तथा चीन के मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ने के बीच देश के भीतर और काम करने की जरूरत है। इन सभी वजहों से वस्तु एवं सेवा क्षेत्र में भारतीय कारोबार में दहाई अंक की वृद्धि जल्दी नहीं लौटेगी।

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