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देश में इस जगह खजाने की तलाश में जुटी भीड़, जानिए और कौन से खजानों की खोज है जारी

मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में बड़ी संख्या में लोगों ने सोने और चांदी के सिक्कों की तलाश में पार्वती नदी के आस-पास खुदाई कर दी है। दरअसल लोगों के बीच ये खबर फैली की कुछ मछुआरों को यहां कीमती सिक्के मिले हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated : January 11, 2021 17:39 IST
खजाने की तलाश- India TV Paisa
Photo:PTI

खजाने की तलाश

नई दिल्ली। खजानों की खोज सदियों से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती रही है, एक झटके में अमीर बनने की लालसा में लोग कहानियों से लेकर अफवाहों तक पर यकीन कर खजाने की तलाश में जुट जाते हैं। समय समय पर जमीन से मिलने वाले कुछ सोने के सिक्कों या ऐसी ही कोई छोटी मोटी लेकिन कीमती सामान का मिल जाना या मिलने की अफवाह फैल जाना खोए खजानों की कहानियों को लोगों के दिमाग में बनाए रखता है। ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश के राजगढ़ में हुआ

पार्वती नदी में लोग तलाश रहे सोने के सिक्के

मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में बड़ी संख्या में लोगों ने सोने और चांदी के सिक्कों की तलाश में पार्वती नदी के आस-पास खुदाई कर दी है। दरअसल लोगों के बीच ये खबर फैली की कुछ मछुआरों को यहां कीमती सिक्के मिले हैं, खबर फैलते ही बड़ी संख्या में लोग यहां सोने और चांदी के सिक्कों की तलाश में यहां पहुंच गए। पहुचने वालों में राजस्थान से आए लोग भी शामिल थे। कई लोगों का दावा है कि उन्हें कुछ सिक्के मिले हैं। वहीं प्रशासन ने कहा कि संभावना है कि किसी ने कुछ सिक्के परंपरा के तौर पर फेंकें हो जिसके बाद लोगों के बीच खजाने की अफवाह फैल गई।

भारत में और कितने खजानों की तलाश है जारी

प्राचीन भारत में सोने और चांदी की कोई कमी नहीं थी, इसी को देखते हुए देश में खजानों से जुड़ी कई कहानियां फैली हैं। जिसमें से कुछ के सुराग इतने मजबूत थे कि अग्रेजों से लेकर भारत सरकार तक ने इसको पाने की कोशिश की। दक्षिण भारत के मंदिरों और प्राचीन किलों में खजाने को लेकर कई कहानियां हैं और कई लोग इन्हें पूरी तरह सच मानते हैं।   

जयगढ़ किले का खजाना

जयगढ़ किले के खजाने की कहानी इतनी प्रसिद्ध थी कि इसके लिए 1976 में भारत सरकार ने भी इसकी खोज कराई थी जिसमें सेना को भी शामिल किया था, यहां तक कि पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार ने भी पत्र लिखकर खजाने के हिस्से में दावा ठोक दिया था। सरकार ने उस वक्त किसी भी खजाने के न मिलने की बात कही थी, लेकिन खोज प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिल्ली जयपुर हाईवे पर सेना के काफिले के मूवमेंट और लोगों के लिए रास्ता बंद करने से कई नई कहानियों ने जन्म ले लिया। माना जाता है कि ये खजाना मानसिंह प्रथम अफगानिस्तान के अभियान से लेकर आए थे। जिसे उन्होने अपने किले में कहीं छुपा दिया था। फिलहाल लोगों के दिलो दिमाग पर ये खजाना अभी भी बसा हुआ है।    

बिम्बिसार का खजाना

मगध के राजा बिम्बिसार के खजाने से जुड़ी कहानियां आज भी कई लोगों को अपनी तरफ खींचती हैं। कई लोग मानते हैं कि ये खजाना बिहार के राजगीर में छिपा हुआ है और इसमें  करोड़ों रुपया का सोना रखा है। दरअसल यहां स्थित सोन भंडार गुफा में पुरानी लिपि में कुछ लिखा हुआ मिला है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका।  खजाने पर यकीन रखने वाले मानते हैं कि ये खजाने से जुड़े संकेत हैं। इस खजाने को खोजने की कोशिश अंग्रेजों ने भी की थी लेकिन उन्हें भी कुछ नहीं मिला।

नादिर शाह का खजाना

नादिर शाह ने 1739 में दिल्ली पर कब्जा कर लिया था, यहां उसने जमकर लूटपाट की और कत्लेआम किया। लूटे गए खजाने में मयूर तख्त और कोहेनूर के साथ सोने के सिक्के और हीरे जवाहरात भी थे। 18वीं सदी में लिखी गई एक किताब के मुताबिक उस वक्त नादिर शाह करीब 70 करोड़ रुपये मूल्य की दौलत अपने साथ ले गया था। कई लोग मानते हैं कि वापसी के वक्त इस खजाने का कुछ हिस्सा नादिर शाह के बड़े अधिकारियों ने कहीं छुपा दिया था। हालांकि इतिहास में इसका न तो कोई ठोस सबूत है और न ही खजाने के कोई सुराग मिले हैं।  

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