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GPS बेस्ड टोल की टेस्टिंग अगले महीने से शुरू करेगी सरकार, FasTag बन जाएगा इतिहास

अगर कोई यात्री कम दूरी तय करेगा तो जीपीएस बेस्ड टोल सिस्टम उससे उसी हिसाब से कम चार्ज करेगा। मौजूदा समय में ऐसी व्यवस्था नहीं है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Jan 15, 2024 13:34 IST, Updated : Jan 15, 2024 13:34 IST
हाइवे पर उसके मूवमेंट की प्राइवेसी एक अहम मुद्दा है।- India TV Paisa
Photo:REUTERS हाइवे पर उसके मूवमेंट की प्राइवेसी एक अहम मुद्दा है।

केंद्र सरकार अगले महीने यानी फरवरी से देश के 5 से 10 हाइवे पर जीपीएस आधारित टोल कलेक्शन की टेस्टिंग शूरू करने की योजना बना रही है। टोल कलेक्शन की यह विधि ज्यादा सक्षम और तेज होगी। लाइवमिंट की खबर के मुताबिक, इसके शुरू होने से मौजूदा टोल की फास्टैग प्लेटफॉर्म इतिहास बन जाएगा। सड़क मंत्रालय में रोड सेक्रेटरी अनुराग जैन ने कहा किकहा कि देशभर में लागू करने से पहले इसे लिमिटेड हाइवे पर टेस्ट किया जाएगा।

टोल चलती गाड़ी में कट जाएगा

हाइवे डेवलपर एनएचएआई सेटेलाइट आधारित जीपीएस टोल सिस्टम पर काम कर रहा है। हालांकि इस नए सिस्टम को लेकर कुछ चिंताएं जरूर हैं जिस पर विचार किया जाएगा। नए सिस्टम में टोल चलती गाड़ी में प्लाजा के खत्म होने के साथ ही कट जाएगा। जीपीएस आधारित टोलिंग में गाड़ियों में एक डिवाइस लगाने की जरूरत होगी जो उनकी मूवमेंट को ट्रैक कर सकेगा। टोल हाइवे के बाहर निकलने के प्वाइंट पर तय की गई दूरी के हिसाब से कट जाएगा।

दूरी के हिसाब से कटेगा टोल

अगर कोई यात्री कम दूरी तय करेगा तो जीपीएस बेस्ड टोल सिस्टम उससे उसी हिसाब से कम चार्ज करेगा। मौजूदा समय में ऐसी व्यवस्था नहीं है। अभी गाड़ी भले ही छोटी दूरी के तुरंत बाद ही हाइवे से बाहर गई हो, पूरा टोल चुकाना होता है। नया सिस्टम सेंसर आधारित होगा। इसलिए सवारी को टोल चुकाने के लिए हाइवे पर रुकना या इंतजार करने की जरूरत ही नहीं होगी।  जीपीएस बेस्ड टोल सिस्टम में यूजर को खुद का और गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराना होगा और इसे बैंक अकाउंट से अटैच कराना होगा।

कई सारे होम वर्क होने हैं अभी

सड़क और परिवहन मंत्रालय ने नेशनल हाइवे फीस नियम में बदलाव किया है जिसमें नेशनल हाइवे पर तय दूरी के हिसाब से टोल कटने की सुविधा यूजर्स को मिलेगी। हालांकि इन सारी बातों को जमीन पर उतारने से पहले कई सारे होम वर्क होने हैं। अधिकारी ने कहा है कि इस नए सिस्टम में एक बात यूजर के प्राइवेसी को लेकर है। इसपर भी विचार किया जा रहा है। जीपीएस टोलिंग यूजर के पर्सनल डेटा को ट्रैक कर सकता है। हाइवे पर उसके मूवमेंट की प्राइवेसी एक अहम मुद्दा है।

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