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कंपनियों की कमर तोड़ेगा "कर्ज का मर्ज", चालू वित्त वर्ष में 25% बढ़ेगी कंपनियों की फाइनेंसिंग कॉस्ट

बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए RBI ने मई 2022 से अब तक प्रमुख नीतिगत दर में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है और यह इस समय 6.50 प्रतिशत पर है।

Sachin Chaturvedi Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: April 11, 2023 22:08 IST
Financing Cost- India TV Paisa
Photo:FILE Financing Cost

ब्याज दर का बोझ बढ़ने से कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में कर्ज घटाने की कवायद रोकने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है क्योंकि उनकी वित्तपोषण लागत 25 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। गौरतलब है कि ब्याज दरों का बोझ इस समय महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच चुका है और यह 2021-22 के मुकाबले 30 प्रतिशत हो चुका है।

रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स के एक विश्लेषण के मुताबिक गैर-वित्तीय एवं भारी कर्ज वाली 3,360 कंपनियों पर वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही तक ब्याज का बोझ 36 लाख करोड़ रुपये था। इन कंपनियों की ब्याज अदायगी वित्त वर्ष 2021-22 में 2.52 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 3.38 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने मई 2022 से अब तक प्रमुख नीतिगत दर में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है और यह इस समय 6.50 प्रतिशत पर है। यह फरवरी 2020 से पहले के मुकाबले 0.25 प्रतिशत अधिक है।

एजेंसी ने मंगलवार को कहा कि ब्याज अदायगी बढ़ने के कारण कुल ऋण में गिरावट की संभावना नहीं है। वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 2023-24 में कंपनियों के लिए सभी श्रेणियों में ऋण की लागत बढ़ने का अनुमान है। ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी और अधिक कार्यशील पूंजी वित्त पोषण के चलते ब्याज बहिर्वाह बढ़कर 2023-24 में 3.38 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। यह आंकड़ा 2021-22 में 2.52 लाख करोड़ रुपये था। 

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