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इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सरकार के जोर से निवेश को मिलेगी रफ्तार, जानें RBI की लेटेस्ट रिपोर्ट में और क्या कहा गया

कमजोर ग्लोबल डिमांड की चुनौतियों के बीच मजबूत बुनियाद के साथ घरेलू आर्थिक गतिविधियां 2023-24 की पहली छमाही में मजबूत रही हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में पूंजीगत व्यय 37.5 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया गया था।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Apr 11, 2024 19:07 IST, Updated : Apr 11, 2024 19:55 IST
अर्थव्यवस्था की मध्यम और दीर्घकालिक स्तर पर वृद्धि क्षमता बढ़ रही है।- India TV Paisa
Photo:FILE अर्थव्यवस्था की मध्यम और दीर्घकालिक स्तर पर वृद्धि क्षमता बढ़ रही है।

देश के केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को कहा है कि सरकार के बुनियादी ढांचे पर जोर के साथ कारोबार को लेकर भरोसा बढ़ने से निवेश चक्र में लगातार आधार पर पुनरुद्धार हो सकता है। आरबीआई की मौद्रिक नीति रिपोर्ट- अप्रैल 2024 के मुताबिक, कमजोर ग्लोबल डिमांड की चुनौतियों के बीच मजबूत बुनियाद के साथ घरेलू आर्थिक गतिविधियां 2023-24 की पहली छमाही में मजबूत रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां पूंजीगत वस्तुओं में निवेश और शुद्ध रूप से ग्लोबल डिमांड के कम असर से वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि को गति मिली, वहीं निजी खपत को शहरी मांग से समर्थन मिला। इसमें आपूर्ति पक्ष के बारे में कहा गया है कि विनिर्माण गतिविधियां और मजबूत हुईं।

निर्माण गतिविधियां मजबूत रहीं

कच्चे माल की कम लागत और ग्लोबल सप्लाई व्यवस्था में सुधार से क्षेत्र को लाभ हुआ। साथ ही आवास की बढ़ती मांग और बुनियादी ढांचे पर सरकार के जोर के कारण निर्माण गतिविधियां मजबूत रहीं। रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले समय में, निजी खपत को ग्रामीण मांग की बेहतर संभावनाओं और उपभोक्ता भरोसा बढ़ने से समर्थन मिलेगा। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, बुनियादी ढांचे के निर्माण पर सरकार का निरंतर जोर, निजी कॉरपोरेट निवेश में वृद्धि और व्यापार के स्तर पर उत्साह, सतत रूप से निवेश चक्र में पुनरुद्धार को बनाए रख सकता है।

पूंजीगत व्यय 11.11 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान

यह अर्थव्यवस्था में उत्पादकता और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अच्छा संकेत है। इसमें कहा गया है, अर्थव्यवस्था की मध्यम और दीर्घकालिक स्तर पर वृद्धि क्षमता बढ़ रही है। इसका कारण भौतिक बुनियादी ढांचे में सुधार, विश्वस्तरीय डिजिटल और भुगतान प्रौद्योगिकी का विकास, कारोबार सुगमता, श्रमबल की बढ़ती भागीदारी और राजकोषीय खर्च की गुणवत्ता में सुधार जैसे संरचनात्मक कारक हैं। सरकार ने 2024-25 में निजी निवेश बढ़ने के साथ चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय 11 प्रतिशत बढ़कर 11.11 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा है।

वहीं वित्त वर्ष 2023-24 में पूंजीगत व्यय 37.5 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया गया था। आरबीआई के सर्वेक्षण के मुताबिक, उपभोक्ताओं के बीच भरोसा एक साल पहले ही नई ऊंचाई पर पहुंच गया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि निवेश गतिविधियों की संभावनाएं बेहतर बनी हुई हैं। इसका कारण निजी पूंजीगत व्यय में वृद्धि, लगातार और मजबूत सरकारी पूंजीगत व्यय, बैंकों और कंपनियों के मजबूत बही-खाते, क्षमता का बढ़ता उपयोग और व्यावसायिक स्तर पर मजबूत आशावाद है।

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