मेलबर्न: क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने अपने दोस्त के साथ किसी सामान को खरीदने के बारे में बातचीत की हो, और अगले दिन स्मार्टफोन पर उसी उत्पाद से संबंधित विज्ञापन आपको दिखने लगा? अगर हां, तो आपने जरूर सोचा होगा कि क्या आपका स्मार्टफोन आपकी बातचीत सुन रहा था। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? यह महज संयोग नहीं है कि जिस सामान में आपकी रुचि थी, उसके लिए ही आपको संभावित ग्राहक मानकर विज्ञापन दिखाया जाने लगा। लेकिन इसका यह अर्थ भी नहीं है कि आपका फोन वास्तव में आपकी बातचीत सुन रहा है - उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं है।
इस बात की पूरी संभावना है कि आप उसे पहले ही वह सारी जानकारी दे रहे हों, जिसकी उसे जरूरत है। क्या फोन आपकी बातचीत को सुन सकते हैं? ज्यादातर लोग नियमित रूप से अपनी जानकारी वेबसाइट और ऐप को देते हैं। हम ऐसा तब करते हैं जब हम उन्हें कुछ अनुमतियां देते हैं, या ‘कुकीज’ को अपनी ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी की अनुमति देते हैं। तथाकथित "फर्स्ट-पार्टीज कुकीज" वेबसाइटों को हमारी बातचीत के बारे में कुछ विवरणों को याद रखने की अनुमति देती है।
उदाहरण के लिए, लॉगिन कुकीज आपको अपना लॉगिन विवरण सहेजने देती हैं, ताकि आपको उन्हें हर बार फिर से दर्ज न करना पड़े। हालांकि, थर्ड पार्टी कुकीज यानी तीसरे पक्ष के कुकीज अक्सर किसी मार्केटिंग कंपनी की होती हैं, जिन्हें जाने-अनजाने आपने डेटा तक पहुंच दी होगी। इस तरह विज्ञापनदाता आपकी दिनचर्या, रुचि और जरूरतों को शामिल करके आपके जीवन की एक तस्वीर बना सकता है। ये कंपनियां लगातार अपने उत्पादों की लोकप्रियता का पता लगाने की कोशिश करती हैं।
इसके आधार पर विज्ञापनदाता सही विज्ञापनों के साथ सही ग्राहकों को लक्षित करने के लिए एल्गोरिदम में सुधार करते हैं। कंप्यूटर पर्दे के पीछे काम करते हैं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) में कई मशीन-लर्निंग तकनीकें आती हैं, जो सिस्टम को आपके डेटा की छंटनी और विश्लेषण करने में मदद करती हैं, जैसे डेटा क्लस्टरिंग, एसोसिएशन और रीइन्फोर्समेंट लर्निंग (आरएल)। एक आरएल एजेंट उपयोगकर्ता के व्यवहार से प्राप्त फीडबैक के आधार पर खुद को प्रशिक्षित कर सकता है।
सोशल मीडिया पोस्ट पर लाइक करने से आप आरएल एजेंट को संकेत भेजते हैं, जो पुष्टि करता है कि आपकी इस पोस्ट में रुचि है या आप शायद इसे पोस्ट करने वाले व्यक्ति में रुचि रखते हैं। यदि आप सोशल प्लेटफॉर्म पर ‘‘दिमागी खेल’’ के बारे में सक्रिय रूप से पोस्ट पसंद करना शुरू करते हैं, तो इसका सिस्टम आपको उन कंपनियों के विज्ञापन भेजेगा, जो संबंधित उत्पादों और सामग्री की पेशकश कर सकती हैं। इसके अलावा किसी मंच पर आपके द्वारा दिए गए व्यक्तिगत विवरण, जैसे आपकी आयु, ईमेल पता, लिंग, स्थान और आप किन उपकरणों का उपयोग करते हैं, इनपर विज्ञापन की सिफारिशें आधारित हो सकती हैं।
इसके अलावा एआई एल्गोरिदम, डेटा के आधार पर आपके आसपास के लोगों की इस आधार पर रैकिंग कर सकते हैं कि आप उनसे कितनी ज्यादा बातचीत या संपर्क करते हैं। फिर वे न केवल आपके डेटा के आधार पर, बल्कि आपके मित्रों और परिवार के सदस्यों से एकत्र किए गए डेटा के आधार पर भी आपको लक्षित करना शुरू कर सकते हैं। उदाहरण के लिए हो सकता है कि फेसबुक आपको कोई ऐसी वस्तु खरीदने की सिफारिश करे, जो आपके दोस्त ने हाल में खरीदी हो। ऐसा करने के लिए उसे आपके और आपके मित्र के बीच बातचीत सुनने की जरूरत नहीं।
ऐसे में ऐप विकसित करने वालों को डेटा जमा करने के लिए उपयोगकर्ताओं से अनुमति लेनी होती है और इसके लिए स्पष्ट नियम और शर्तें हैं। इसलिए उपयोगकर्ताओं को अनुमतियां देते समय सावधान रहने की जरूरत है। जरूरत के मुताबिक ही अनुमति दें। व्हाट्सऐप को कैमरे और माइक्रोफोन तक पहुंच देना समझ में आता है, क्योंकि वह इसके बिना अपनी कुछ सेवाएं नहीं दे सकता है। लेकिन, याद रखिए सभी ऐप और सेवाएं केवल वही नहीं मांगेंगी, जो जरूरी है।