सिम कार्ड ग्राहक की पहचान के लिए एक छोटा सा आइडेंटिटी मॉड्यूल होता है। इस छोटे से पोर्टेबल चिप में यूजर से जुड़ी कुछ खास जानकारियां रहती हैं। इसमें एक 17 डिजिट का कोड होता है, जो देश के ऑरिजिन कोड और यूनीक यूजर आईडी प्रदान करता है। इस सिम कार्ड की मदद से यूजर वायरलेस नेटवर्क से कनेक्ट हो पाता है। साथ ही कॉल के ट्रांसमिशन, टेक्स्ट मैसेज, इंटरनेट से भी जुड़ पाता है। यह सिम कार्ड यूजर के कॉन्टैक्ट की पूरी जानकारी, टेलीफोन नंबर, एसएमएस, बिलिंग संबंधित जानकारी और डेटा यूसेज को स्टोर रखता है।
इस तकनीक को अब तक केवल SIM कार्ड के नाम से ही जाना जाता था, लेकिन क्या आप जानते हें कि ये तकनीक अब विकसित होकर eSIM और iSIM तक जा चुकी है। आइए आपको इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।
क्या है eSIM?
eSIM तकनीकी रूप से फोन में पहले से मौजूद फिजिकल सिम कार्ड जैसा ही होता है। इसमें e का अर्थ होता है 'embedded'। eSIM तकनीकी रूप से स्मार्टफोन के अंदर एक छोटी सी फिजिकल चिप होती है। eSIM का इस्तेमाल मुख्य रूप से स्मार्टवॉच और लैपटॉप जैसे गैजेट्स में होता है। eSIM टेक्नोलॉजी यूजर को एक सिंगल डिवाइस पर एक से ज्यादा नंबर स्टोर करने की सुविधा देती है, जो उसे वर्चुअली मल्टीपल कैरियर और नेटवर्क के साथ जोड़ती है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अत्याधुनिक स्मार्टफोन और स्मार्टवॉच में होता है। इसमें एक नया स्टैंडर्ड सेट करने और फिजिकल सिम को रिप्लेस करने की क्षमता है।
क्या है iSIM?
Qualcomm ने नेक्स्ट जेनरेशन की iSIM टेक्नोलॉजी को बनाने के लिए वोडाफोन और थेल्स के साथ पार्टनरशिप की है, जो फिजिकल सिमकार्ड फिजिकल सिमकार्ड को रिप्लेस करेगी। साथ ही साथ eSIM टेक्नोलॉजी में भी सुधार लाएगी। इस नई तकनीक के आने से स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच और टैबलेट जैसे उन डिवाइस के अंदर का स्पेस खाली हो जाएगा, जिन्हें इंटरनेट से कनेक्ट किया जा सकता है।
iSIM एक बेहद नई तकनीक है और इसमें वो सभी फायदे मिल जाते हैं जो eSIM पर उपलब्ध हैं। iSIM का सबसे बड़ा फायदा ये है कि यह डिवाइस में eSIM से भी कम जगह घेरता है। चूंकि ये मोबाइल चिपसेट के अंदर ही इंटिग्रेटेड टेक्नोलॉजी है, इसलिए स्मार्टफोन या दूसरे गैजेट्स में ज्यादा स्पेस नहीं घेरती है। iSIM में i का मतलब 'integrated' से ही है और ये आपके स्मार्टफोन के प्रोसेसर का ही एक पार्ट है।