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जानिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश क्यों है फायदेमंद?

जोखिम और रिटर्न के हिसाब से गोल्ड बॉन्ड में निवेश सोना खरीदने से ज्यादा फायदेमंद

Sarabjeet Kaur Written by: Sarabjeet Kaur
Updated on: May 12, 2020 19:44 IST
sovereign gold bond scheme- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

sovereign gold bond scheme

नई दिल्ली। भारत में सोना खरीदना हर किसी को पसंद है। गोल्ड में निवेश को लोग मुश्किल के समय में काम आने का सबसे बेहतर विकल्प मानते हैं। हममें से ज्यादातर लोगों को फिजिकल गोल्ड खरीदना पसंद होता है। लोकिन, उसमें रिस्क और मेकिंग चार्जेस के कारण गोल्ड खरीदना महंगा साबित होता है। ऐसे में भारत सरकार ने निवेशकों को गोल्ड खरीदने का सुरक्षित और सस्ता मौका दिया है। जिसे सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड कहा जाता है। जिसके जरिए आप 1 ग्राम से लेकर 4 किलोग्राम तक सोना खरीद सकते हैं और आपको उस निवेश पर ब्याज भी मिलता है। तो अगर आप भी अपने पोर्टफिलियों में गोल्ड को जोड़ना चाहते हैं तो जानिए हमारे इस खास रिपोर्ट से कि सरकारी गोल्ड बॉन्ड में निवेश करना क्यों एक बेहतर विकल्प है?

पूरी दूनियां में आर्थिक संकट के वजह से शेयर बाजर में उतार-चढ़ाव का माहौल कायम है। लेकिन सोने के भाव में लगातार तेजी देखने को मिल रही है। ज्यादातर निवेशकों का मानना है कि इस साल के अंत तक सोने का भाव 55000 रुपये तक जा सकता है। ऐसे में सरकार ने निवेशकों को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के जरिए सस्ता सोना खरीदने का मौका दिया है।

जानिए गोल्ड बॉन्ड की कुछ खास बातें?

·         गोल्ड बॉन्ड सरकारी गोल्ड होता है जिसमें आप निवेश कर सकते हैं

·        सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भारत सरकार की ओर से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी किया जाता है

·        गोल्ड बॉन्ड को लोग ऑनलाइन, बैंक, डाकघर, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और स्टॉक एसचेंज जैसे कि NSE, BSE के जरिए खरीद सकते हैं

·         आरबीआई की वेबसाइट में जाकर भी गोल्ड बॉन्ड को ऑनलाइन खरीदा जा सकता है

·         सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेशक एक वित्तीय वर्ष में 1 ग्राम सोना से लेकर 4 किलोग्राम तक सोना खरीद सकता है

·         कोई भी व्यक्ति, HUF (हिंदू अविभाजित परिवार), ट्रस्ट, संस्था, विश्वविद्यालय या धर्म संस्थान के निवासी गोल्ड बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं

·        किसी भी ट्रस्ट और वित्तीय इकाइयों को 20 किलोग्राम तक की ऊपरी सीमा का निवेश करने की अनुमति है

·         निवेशक हर साल इस सीमा तक गोल्ड बॉन्ड में निवेश कर सकता है

·         सरकार ने इस वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 6 सीरीज में गोल्ड बॉन्ड बेचने का ऐलान किया था। जिसमें से ये गोल्ड बॉन्ड खरीदने का दूसरा चरण है

·         सरकार ने 1 ग्राम सोने का प्राइस बैंड बाजार के मूल्य भाव के हिसाब से 4590 रुपये प्रति ग्राम तय किया है

·         कोई भी व्यक्ति 11 मई से 15 मई 2020 तक के बीच सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना के तहत गोल्ड में निवेश-खरीद सकता है

·         निवेशकों को खरीदे हुए गोल्ड बॉन्ड 28 मई को जारी किए जाएंगे। पिछले महीने के अप्रैल के मुकाबले मई में गोल्ड के दाम कम हैं। पिछले महीने 4639 रुपये प्रति ग्राम था जो इस बार 4590 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के क्या है फायदे?

एस्कॉर्ट्स सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड, आसिफ़ इक़बाल का मानना है कि “जिन्हें गोल्ड में निवेश करना पसंद है उनके लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक अच्छा विकल्प है। साथ ही लंबी अवधि के निवेशकों के लिए गोल्ड बॉन्ड में निवेश करना फायदेमेंद होगा। अगले 2 से 3 सालों में बाजार के माहौल को देखते हुए गोल्ड के दामों में और इजाफा देखने को मिलेगा जिसका फायदा निवेशकों को निश्चित मिलने की उम्मीद है। बाकी निवेश के विकल्पों में निवेशकों का भरोसा कम होने के वजह से गोल्ड असेट को फायदा मिलेगा”.

·         सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कम से कम 1 ग्राम सोने में निवेश की सुविधा प्राप्त

·         फिजिकल गोल्ड में मेकिंग चार्जेस के अलावा अन्य चार्जेस लगते हैं। लेकिन, गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने पर 2.50 फीसदी तक का ब्याज मिलता है

·         सोने के कीमतों के बढ़ने के अलावा निवेशकों को तय ब्याज भी मिलता है जो फिजिकल गोल्ड खरीदने में नहीं मिलता

·         ब्याज की रकम हर 6 महीने में निवेशकों को उनके बैंक खाते में दी जाती है

·         फिजिकल गोल्ड खरीदने पर चोरी होने का खतरा होता है लेकिन गोल्ड बॉन्ड सुरक्षित होता है।सरकारी होने के वजह से किसी तरह का नुकसान नहीं होता और सुरक्षित माना जाता है

·         गोल्ड बॉन्ड की फिजिकल डिलिवरी भी संभव

·         लंबी अवधि यानी की 8 साल के निवेशित रहना जरुरी है।

·         इसके अलावा निवेशक पांच, छह या सातवें साल बाद चाहे तो निवेशक एक्जिट हो सकता है

·         बाजार के उतार-चढ़ाव के हिसाब से सोने में तेजी और गिरावट की भी संभावना

·         गोल्ड बॉन्ड को गिरवी रखकर निवेशक लोन भी ले सकते हैं

·         सोने की प्योरिटी की बात करें तो 24 कैरेट गोल्ड की प्योरिटी जो कि 99 फीसदी प्योर गोल्ड की मिलती है

·         मैच्योर होने पर नकदी में गोल्ड बॉन्ड को रिडीम किया जाता है

·         गोल्ड बॉन्ड के मैच्योरिटी तक होल्ड करने पर कोई टैक्स नहीं लगता। लेकिन मैच्योरिटी से पहले बेचने पर टैक्स छूट लागू नहीं होती है

·         अगर निवेशक तीन साल के बीच गोल्ड बॉन्ड को बेच देता है तो वो शॉर्ट टर्म गेंस में नोट होता है और निवेशक के इंकम में उसे जोड़ा जाता है। निवेशक को उसके टैक्स स्लैब के हिसाब से इनकम का टैक्स देना होता है

·         ध्यान दें कि डिजिटल माध्यम से यानी की ऑनलाइन गोल्ड बॉन्ड को खरीदने पर सरकार द्वारा 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट दी जा रही है। जिसका मतलब है कि 4590 प्रति ग्राम गोल्ड बॉन्ड को आप 4540 रुपये प्रति ग्राम में खरीद सकते हैं। ऑनलाइन खरीदना निवेशकों के लिए एक सस्ता सौदा है

·        अगर निवेशक मई के चरण में गोल्ड बॉन्ड खरीदने से चूक जाते हैं तो 4 और चरणों में वो खरीद सकते हैं। बाकि बचे गोल्ड बॉन्ड खरीदने के बाकी चरण इस प्रकार है:

तीसरा चरण: 8 जून से 12 जून 2020, निवेशकों को 16 जून 2020 को इश्यू किया जाएगा

चोथा चरण:  6 जूलाई से 10 जूलाई 2020 के बीच, 14 जूलाई 2020 इश्यू किया जाएगा

पांचवा चरण: 3 अगस्त से 7 अगस्त 2020। 11 अगस्त 2020 को इश्यू होगा

छठा चरण: 31 अगस्त से 4 सितंबर 2020। 8 सितंबर 2020 को निवेशकों को इश्यू किया जाएगा

·         बाकी असेट क्लास के मुकाबले गोल्ड बॉन्ड में रिस्क काफी कम है। लेकिन, किसी भी निवेश से पहले या अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करने से पहले अपने निवेश सलाहकार से जानकारी जरूर लें

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