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आयकर की और 8 प्रक्रियाओं के लिए शुरू होगा फेसलेस आकलन, सरकार ने की तैयारी पूरी

इस विधेयक में आय छिपाने, परिशोधन, संशोधन, नोटिस जारी करने इत्यादि के लिए फेसलैस आकलन का प्रस्ताव किया गया है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: September 19, 2020 8:54 IST
Govt looks to extend faceless assessment scheme to 8 more I-T proceedings- India TV Paisa
Photo:HINDU BUSINESS LINE

Govt looks to extend faceless assessment scheme to 8 more I-T proceedings

नई दिल्‍ली। सरकार का आयकर कानून के तहत सभी प्रक्रियाओं के लिए चेहराविहीन आकलन शुरू करने का प्रस्ताव है। इसमें कर संग्रह, वसूली और जानकारी एकत्र करना इत्यादि शामिल है। चेहराविहीन प्रक्रिया में किसी भी क्षेत्र के करदाता का कर आकलन देशभर के किसी भी आयकर कार्यालय में किया जाता है। उदाहरण के लिए चेन्नई के करदाता का कर आकलन सूरत के आयकर कार्यालय में हो सकता है और सूरत के करदाता का कर आकलन गुवाहाटी में किया जा सकता है।

मौजूदा वक्त में कर आकलन इस प्रक्रिया के तहत शुरू हुआ है और 25 सितंबर से अपील के मामले भी इसी प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ेंगे। सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में कराधान और अन्य कानून (कुछ प्रावधानों में छूट एवं संशोधन) विधेयक-2020 पेश किया। इसमें आयकर कानून के तहत आने वाली कम से कम आठ प्रक्रियाओं के लिए चेहराविहीन (फेसलैस) आकलन का प्रस्ताव किया गया है।

इस विधेयक में आय छिपाने, परिशोधन, संशोधन, नोटिस जारी करने इत्यादि के लिए फेसलैस आकलन का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा कर संग्रह, कर वूसली, अनुमति या पंजीकरण और आदेश के प्रभाव का आकलन भी चेहराविहीन तरीके से करने को कहा गया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कराधान विधेयक पेश किया। इससे पहले कराधान एवं अन्य विधियां (कतिपय उपबंधों का संशोधन एवं छूट) अध्यादेश 2020 मार्च में लागू किया गया था। इसके अलावा 1948 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित पीएम राष्ट्रीय राहत कोष के खिलाफ केंद्रीय राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की टिप्पणी के बाद सदन को चार बार के लिए स्थगित करना पड़ा।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस आदि विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल का प्रयास है। विपक्षी सदस्यों ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत राज्यों के हिस्से का बकाया पैसा देने की मांग की। वहीं, वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि यह गलतफहमी है कि हम किसी राज्य का अधिकार छीन रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि हम जिम्मेदारी से नहीं भाग रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह विधेयक कर के भुगतान, टैक्स फाइलिंग और रिटर्न फाइल करने से जुड़ा है और हम ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं, जिससे जीएसटी परिषद का उल्लंघन हो। वित्त मंत्री ने कहा कि कर के भुगतान, टैक्स फाइलिंग और रिटर्न फाइल करने का विषय केंद्र सरकार के दायरे में आता है। इससे पहले कांग्रेस सदस्य शशि थरूर, अधीर रंजन चौधरी और मनीष तिवारी तथा तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध किया। चौधरी ने कहा कि जब संशोधन किया जा रहा है तब इसका कारण भी स्पष्ट होना चाहिए। पीएम केयर्स फंड का जिक्र करते हए उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि इसका फायदा किसे मिल रहा है।

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