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पेट्रोल-डीजल पर टैक्‍स घटाने से बढ़ेगी उपभोक्‍ता मांग, इकोनॉमिक रिवाइवल को मिलेगा समर्थन

यदि कच्चे तेल का दाम 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर अधिक समय तक बना रहता है, तब सरकार को क्रूड ऑयल पर कस्टम ड्यूटी को घटाना चाहिए।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: February 23, 2021 19:16 IST
पेट्रोल पंप पर स्‍कूटर में पेट्रोल डालता पेट्रोल पंप कर्मचारी। - India TV Paisa
Photo:FILE PHOTO

पेट्रोल पंप पर स्‍कूटर में पेट्रोल डालता पेट्रोल पंप कर्मचारी।

नई दिल्‍ली। ऐसे समय में जब भारत की अर्थव्‍यवस्‍था कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप से उबर रही है, तब तेल के दामों में 10 प्रतिशत के उछाल से खुदरा मुद्रास्‍फीति में 23 आधार अंकों की वृद्धि से उपभोग पर बुरा असर पड़ने के प्रति सचेत करते हुए बैंक ऑफ अमेरिका सिक्‍यूरिटीज ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्‍स कटौती की वकालत की है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि तेल पर टैक्‍स घटाने से उपभोक्‍ता मांग को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

पेट्रोल की खुदरा कीमत में 60 प्रतिशत टैक्‍स का हिस्‍सा है और देश के कई हिस्‍सों में इसकी कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक हो गई है। डीजल की एमआरपी में टैक्‍स का हिस्‍सा 54 प्रतिशत है और इसकी कीमत 90 रुपये प्रति लीटर को पार कर चुकी है। साउथईस्‍ट एशिया में भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमत सबसे ऊंची है, क्‍योंकि केंद्र और राज्‍य दोनों ही तेल पर टैक्‍स के जरिये राजस्‍व जुटाने का काम करती हैं।

मुद्रास्‍फीति प्रबंधन पर ऊंची तेल कीमत के प्रभाव के डर को देखते हुए रिजर्व बैंक ने 5 फरवरी को अपनी अंतिम मौद्रिक समिति बैठक में मुद्रास्‍फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार से पेट्रोल और डीजल पर टैक्‍स का बोझ कम करने का आग्रह किया है।   

ब्रोकरेज फर्म बैंक ऑफ अमेरिका सिक्‍यूरिटीज ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि तेल पर टैक्‍स कम करने से उपभोक्‍ता मांग को बढ़ावा मिलेगा। उसने कहा कि रिकवरी वाली भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में मांग बढ़ाने की बहुत आवश्‍यकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्‍चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि होने पर उपभोग में जीडीपी के 0.4 प्रतिशत की कमी आती है। वहीं तेल पर 10 रुपये प्रति लीटर टैक्‍स घटाने से राजकोषीय घाटे में जीडीपी का केवल 0.6 प्रतिशत वृद्धि होती है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यदि क्रूड के दाम निरंतर 60 डॉलर प्रति बैरल के औसत पर बने रहते हैं, तब सरकार को टैक्‍स घटाना चाहिए और इसके परिणामस्‍वरूप राजस्‍व नुकसान की भरपाई केंद्रीय बैंक द्वारा अधिक ओपन मार्केट ऑपरेशन के जरिये की जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि कच्‍चे तेल का दाम 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर अधिक समय तक बना रहता है, तब सरकार को क्रूड ऑयल पर कस्‍टम ड्यूटी को घटाना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्‍त वर्ष 2019-20 में कच्‍चे तेल का दाम 61.1 डॉलर प्रति बैरल और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का मार्जिन लगभग 2 रुपये प्रति लीटर था। तेल की खुदरा कीमतों में टैक्‍स का हिस्‍सा 40 प्रतिशत था तब पेट्रोल-डीजल की औसत कीमत देश में क्रमश: 75.4 और 68 रुपये प्रति लीटर थी। इस साल भी कच्‍चे तेल की कीमत लगभग समान है, जबकि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का मार्जिन 2 रुपये प्रति लीटर से कम है लेकिन पेट्रोल व डीजल की कीमत क्रमश: 100 रुपये और 90 रुपये से अधिक है। इसका प्रमुख कारण पेट्रोल पर 64 प्रतिशत और डीजल पर 54 प्रतिशत टैक्‍स है।

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