नई दिल्ली। उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को कहा कि सरकार वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बाजार विकास सहायता (एमडीए-Market Development Assistance ) नीति को उदार बनाने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि एमडीए नीति पहले केवल शहरी कम्पोस्ट तक ही सीमित थी। मौजूदा समय में, सरकार शहर के कचरे से बनी शहरी खाद के उत्पादन और खपत को बढ़ाने के लिए सब्सिडी के रूप में 1,500 रुपये प्रति टन एमडीए देती है। मंत्रालय के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में मंडाविया के हवाले से एक सरकारी बयान में कहा गया, "बायोगैस, हरी खाद, ग्रामीण क्षेत्रों के जैविक खाद, ठोस/तरल घोल आदि जैसे जैविक कचरे को शामिल करके इस नीति का विस्तार करने की मांग की गई थी।"
सरकार वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एमडीए नीति को उदार बनाने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि इस नीति का विस्तार, सरकार के 'स्वच्छ भारत अभियान' का पूरी तरह से अनुपूरक होगा। बैठक में मंत्री को अवगत कराया गया कि पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में 12.7 लाख टन क्षमता वाला मैटिक्स फर्टिलाइजर प्लांट जल्द शुरू होगा। मंडाविया ने कहा कि तेलंगाना में रामागुंडम संयंत्र के शुरू होने से 12.7 लाख टन स्वदेशी यूरिया उत्पादन में वृद्धि हुई है और इससे यूरिया उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के प्रधानमंत्री की इच्छा को साकार करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से न केवल किसानों को उर्वरक की उपलब्धता की स्थिति में सुधार होगा बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा सड़क, रेलवे, सहायक उद्योग आदि जैसे बुनियादी ढांचे के विकास सहित क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री, भगवंत खुबा और उर्वरक सचिव आर के चतुर्वेदी बैठक में उपस्थित अन्य वरिष्ठ मंत्रालय के अधिकारियों में शामिल थे।