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अस्पतालों में बंद हो सकती है कैशलेस इलाज की सुविधा, हेल्थकेयर इंडस्ट्री के इन दो संगठनों ने पीएमओ को लिखा पत्र

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (AHPI) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को कैशलेस इलाज को लेकर एक पत्र लिखा है और कहा है कि देश की हेल्थकेयर इंडस्ट्री संकट से गुजर रही है।

India TV Business Desk Written by: India TV Business Desk
Updated on: December 21, 2019 14:39 IST
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अस्पतालों में बंद हो सकती है कैशलेस इलाज की सुविधा

नई दिल्ली। मोदी सरकार की डिजिटल इंडिया मुहिम को बड़ा झटका लग सकता है। एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (AHPI) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को कैशलेस इलाज को लेकर एक पत्र लिखा है और कहा है कि देश की हेल्थकेयर इंडस्ट्री संकट से गुजर रही है। बताया जा रहा है कि देश भर के कई अस्पतालों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर केंद्र सरकार ने 30 दिन के अंदर उनका बकाया नहीं चुकाया तो वे सेंट्रल ग्रुप हेल्थ स्कीम (सीजीएचएस) और एक्स-सर्विसमैन हेल्थ स्कीम (ईसीएचएस) के तहत अपनी सेवाएं बंद कर देंगे। बता दें कि इन स्कीम्स के तहत कवर होने वाले मरीजों को कैशलेश इलाज मुहैया कराया जाता है। सरकार के ऊपर इन अस्पतालों का लगभग 700 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया शेष है। 

देशभर के बड़े अस्पताल हो रहे प्रभावित

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने संयुक्त बयान में कहा कि सरकार ने देश भर के निजी अस्पतालों का 7-8 महीने से बकाए का भुगतान नहीं किया है। यही वजह है कि अस्‍पताल सीजीएचएस और ईसीएचएस योजनाओं के तहत कवर होने वाले मरीजों के लिए 'कैशलेस' सुविधा बंद करने पर विचार कर रहे हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले अस्पतालों में मैक्स हेल्थकेयर, फोर्टिस हेल्थकेयर, मेदांता, नारायणा हेल्थ क्लीनिक और एचसीजी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स शामिल हैं।

AHPI के महानिदेशक डॉक्टर गिरधर ज्ञानी का कहना है कि नियम के तहत सात दिन के अंदर 70 फीसदी का भुगतान हो जाना चाहिए लेकिन यहां तो महीनों से भुगतान नहीं हो रहा है। उन्होंने दावा किया, 'सिर्फ दिल्ली के ही 10 अस्पतालों का बकाया 650 करोड़ रुपए से ज्यादा है। हमें आशा है कि पीएम मोदी इस मामले में जल्द एक्शन लेकर निर्णय लेंगे।'

अस्पताल कर्मचारियों की नौकरियों पर मंडराया खतरा

डॉक्टर ज्ञानी ने कहा कि अगर वक्त पर भुगतान नहीं होगा तो अस्पताल खर्चों में कटौती की जाएगी। वे प्रशिक्षित स्टाफ नहीं रखेंगे और केमिकल आदि से साफ-सफाई नहीं करेंगे जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। उन्‍होंने बताया कि अगर जल्द बकाए का भुगतान नहीं किया गया तो हम आगामी 1 फरवरी से कैशलेस सेवा को बंद कर देंगे। डॉक्टर ज्ञानी ने कहा कि अस्पतालों को अनिश्चितता की तरफ धकेला जा रहा है, ऐसे में कैशलेश सेवाएं दे पाना अस्पतालों के लिए मुमकिन नहीं होगा।

बता दें कि सरकार द्वारा अस्पतालों को बकाया राशि का भुगतान नहीं किए जाने से इन अस्पतालों के रोजमर्रा के कामकाज पर असर पड़ना भी शुरू हो गया है। प्रतिनिधि संस्थानों ने कहा कि अस्पताल अपने कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पा रहे हैं। कई अस्पतालों ने चुनिंदा वॉर्ड और बेड हटाकर अपने कामकाज में ही कटौती करनी शुरू कर दी है। अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही तो आशंका है कि लाखों की संख्या में अस्पताल कर्मचारियों को नौकरियों से निकाला जा सकता है। 

आयुष्मान योजना पर पड़ेगा असर

डॉ ज्ञानी के मुताबिक उनका संगठन आयुष्मान भारत योजना में सरकार की ओर से तय किए गए रेट को लेकर अदालत का रुख करने पर विचार कर रहा है, क्योंकि यह सही नहीं हैं। संगठनों ने चेतावनी दी है कि प्रधानमंत्री मोदी ने टियर-2 और टियर-3 शहरों में नए अस्पताल खोलने पर जोर दिया है, लेकिन मौजूदा हालात आयुष्मान भारत स्कीम की उपयोगिता को प्रभावित करेंगे।

भारतीय चिकित्सा संघ का कहना है कि ऐसा इसलिए होगा क्योंकि भारत में ओपीडी के 70 फीसदी और आईपीडी (अस्पताल में भर्ती) के 60 फीसदी मरीजों की देखभाल निजी हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स करते हैं। ऐसे में आर्थिक तंगी की वजह से इन अस्पतालों का काम रुकने से देश की स्वास्थ्य सेवा चरमरा जाएगी।

संगठनों ने यह भी कहा कि सीजीएचएस के तहत मेडिकल प्रोसिजर्स के लिए रिइंबर्समेंट रेट्स को 2014 से रिवाइज नहीं किया गया है। अगर आर्थिक कारणों से स्वास्थ्य सेवाएं बाधित होती हैं तो इससे राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवा पर बुरा असर पड़ेगा क्योंकि वहां प्राइवेट सेक्टर 85 फीसदी सेवा प्रदान करता है।(इनपुट- पीटीआई/आईएएनएस)

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