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डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर, आम आदमी पर होंगे ये असर

भारतीय रुपए में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर से महज 11 पैसे पीछे रह गया।

Ankit Tyagi Ankit Tyagi
Updated on: November 24, 2016 14:42 IST
IndiaTV Hindi
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर, आम आदमी पर होंगे ये असर

नई दिल्ली। भारतीय रुपए में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय 30 पैसे टूटकर 68.86 के स्तर पर आ गया। यह रुपए का अब तक का सबसे निचला स्तर है। इसके पीछे मुख्य वजह विदेशी फंडों की लगातार निकासी है। बुधवार को रुपया दिन के समय में अपने सबसे निचले स्तर 68.85 पर पहुंच गया था। इससे पहले 28 अगस्त 2013 को यह 68.80 के स्तर पर बंद हुई थी।

क्यों है रुपए में कमजोरी

  • अमेरिका में अगले महीने ब्याज दरें बढ़ने की संभावना बढ़कर 94 फीसदी पर चली गई है, ऐसे में डॉलर 14 साल की ऊंचाई पर है।
  • अमेरिका में इकोनॉमी के अच्छे आंकड़ों से भी डॉलर को सपोर्ट मिला है, जबकि नोटबंदी से घरेलू बाजार में रुपये पर दोहरा दबाव है।
  • इस महीने के दौरान रुपए में करीब 3.5 फीसदी की कमजोरी आ चुकी है।

रुपए में और तेज गिरावट की आशंका

एंजेल ब्रोकिंग के एनालिस्ट अनुज गुप्ता का कहना है कि डॉलर इंडेक्स में तेजी से रुपए पर लगातार दबाव बढ़ा है। कमजोरी के इस माहौल में डॉलर के मुकाबले रुपया 68.50-68.80 तक टूटने की आशंका है। यदि डॉलर के मुकाबले रुपए ने 68.50-68.80 का स्तर भी तोड़ दिया, तो फिर 69.50 तक के स्तर मुमकिन हैं। एफआईआई की लगातार बिकवाली और डॉलर इंडेक्स में मजबूती से रुपए पर आगे भी दबाव बरकरार रहने की आशंका है।

रुपया छू सकता है 70 का स्तर

  • विदेशी ब्रोकरेज हाउस डॉएशे बैंक ने कहा है दिसंबर के अंत तक डॉलर की कीमत 70 रुपए तक जा सकती है।
  •  बार्कलेज ने भी रुपये को 70 तक टूटने का अनुमान दिया है।
  • सीएलएसए को भी लगता है कि डॉलर की कीमत 70 रुपये तक जाने की पूरी संभावना है।

रुपए की कमजोरी से आम आदमी पर होगा ये असर

आयात महंगा

  • रुपया कमजोर होने पर आयात महंगा होगा, क्योंकि अब हम एक डॉलर के बदले पहले से अधिक रुपए चुकाएंगे। इससे चीजों की महंगाई बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है।

वाहन

  • देश की अधिकांश ऑटो कंपनियां किसी विदेशी पार्टनर के साथ काम करती हैं। गाड़ियों के कंपोनेंट महंगे होंगे तो वाहन भी महंगे हो जाएंगे।

इलेक्ट्रॉनिक आयटम

  • इलेक्ट्रॉनिक आयटम या उनके कंपोनेंट भी विदेश से आयातित हाते हैं। ये भी महंगे हो जाते हैं।

फर्टिलाइजर

  • देश के कुल फर्टिलाइजर खपत का 50-55 फीसदी हिस्सा हम आयात करते हैं। यह महंगा होगा तो किसानों के लिए दिक्कतें बढ़ेंगी।

मेडिसिन

  • मेडिसिन या उनमें इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स का भी बड़े पैमाने पर आयात होता है। इससे दवाइयां महंगी होंगी, आम लोगों की दिक्कतों में इजाफा होगा।

तेल महंगा होगा

  • हम अपनी जरूरत का लगभग 75 फीसदी तेल आयात करते हैं। कुछ पैसों का फर्क भी करोड़ों रुपए का भार बढ़ा देता है।

बढ़ेगी महंगाई

  • तेल की कीमतों का मुद्रास्फीति से सीधा संबंध है। खासकर डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होते ही मुद्रास्फीति की दर बढ़ जाती है।

घटेगा विदेशी निवेश

  • विदेशी निवेशकों के रिटर्न में कमी आती है। इससे वे देश में निवेश करने में कतराने लगते हैं। ऐसे निवेशकों को शेयर बाजार से अच्छे रिटर्न नहीं मिलते है।

रुपए में गिरावट से इनको होगा फायदा

एनआरआई: एनआरआई विदेशों में डॉलर में कमाते हैं और जब उनके रिश्तेदार या घर वाले भारत में करेंसी एक्सचेंज करते हैं तो अधिक रुपए मिलते हैं।

एक्सपोर्टर्स: एक्सपोर्टर को एक्सपोर्ट करने पर जो डॉलर मिलते हैं, उनका देश में एक्सचेंज होने पर उन्हें अधिक रुपए मिलते हैं।

टूरिज्म इंडस्ट्री: रुपया गिरने से विदेशी पर्यटकों को भारत आने पर कम डॉलर खर्च करने पड़ते हैं, जिससे टूरिज्म इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलता है।

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