नई दिल्ली। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता देश भारत ने तेल की ऊंची कीमतों को लेकर तेल उत्पादक देशों के प्रमुख संगठन ओपेक के सदस्य देशों को अपनी चिंता बताई और कहा कि इसकी वजह से विनाशकारी महामारी के बाद तेजी से सुधर रही अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने का खतरा बढ़ रहा है। नए पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ओपेक के प्रमुख देशों को फोन कर उनसे भारत की यह इच्छा जताई कि उपभोक्ताओं को वहनीय दरों पर पेट्रोलियम ईंधन मिलना चाहिए।
पुरी ने कतर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अपने समकक्षों से फोन पर बात करने के बाद गुरुवार की शाम को पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के शीर्ष देश सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री को फोन किया। पुरी ने ट्विटर पर लिखा कि सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री महामहिम शहजादे अब्दुल अजीज बिन सलमान अल सऊद के साथ वैश्विक ऊर्जा बाजारों में द्विपक्षीय ऊर्जा साझेदारी और विकास को मजबूत करने पर गर्मजोशी से और मैत्रीपूर्ण चर्चा हुई।
उन्होंने कहा कि मैंने वैश्विक तेल बाजारों को अधिक भरोसेमंद और स्थिरतापूर्ण बनाने के लिए तथा खनिज तेल की दरों को अधिक मुनासिब बनाने के लिए शहजादे अब्दुल अजीज के साथ काम करने की अपनी इच्छा व्यक्त की। सऊदी अरब दुनिया में कच्चे तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है और इराक के बाद भारत के लिए दूसरे सबसे बड़ा स्रोत है।
तेल उत्पादकों से लगातार संपर्क
तेल की बढ़ती कीमतों से चिंतित भारत पश्चिम एशिया के प्रमुख तेल उत्पादक देशों से बराबर संपर्क कर रहा है। पुरी ने 14 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात के उद्योग मंत्री और अबु धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडनॉक) के सीईओ अहमद अल जाबेर को फोन कर तेल की कीमतों कम करने में मदद मांगी थी। मई में निम्नतम स्तर छूने के बाद अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में दोबारा उछाल आने के बाद भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं।
ओपेक देश बढ़ाए उत्पादन
भारत अपनी कुल जरूरत का 85 प्रतिशत तेल का आयात करता है। वह काफी लंबे समय से ओपेक और उसके सहयोगियों से उत्पादन कटौती को खत्म करने की मांग कर रहा है ताकि तेल कीमतों को रियायती स्तर पर लाकर वृद्धि को समर्थन दिया जा सके। भारत चाहता है कि ओपेक देश उत्पादन कटौती को खत्म कर बढ़ती कीमतों को रोकें।
पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में लाने की मांग
इंडस्ट्री चैम्बर पीएचडीसीसीआई ने शुक्रवार को कहा कि सरकार को तेल कीमतों को कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए और पेट्रोलिय पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए। चैम्बर ने कहा कि तेल कीमतों में वृद्धि का असर अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर भी पड़ रहा है।
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