नई दिल्ली। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक बार फिर कहा है कि सरकार का भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजीकरण से पीछे हटने का कोई इरादा नहीं है। वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बीच प्रधान से भारत पेट्रोलियम के निजीकरण पर पुनर्विचार करने को लेकर प्रश्न किया गया था। प्रधान ने कहा कि भारत पेट्रोलियम के विनिवेश पर दोबारा विचार करने की जहां तक बात है तो मेरा स्पष्ट जवाब ना है। सरकार में इस बात को लेकर स्पष्ट सोच है कि सरकार का काम व्यवसाय करना नहीं है।
उन्होंने कहा कि हालांकि, भारत पेट्रोलियम के विनिवेश के समय के बारे में वित्त मंत्रालय फैसला लेगा। सरकार ने पिछले साल नवंबर में भारत पेट्रोलियम में अपनी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का निर्णय किया था। इसके लिए संभावित बोली लगाने वालों से 31 जुलाई तक उनके रुचि पत्र मांगे गए हैं।
प्रधान ने कहा कि भारत पेट्रोलियम पर हमने जो निर्णय लिया है, हम उस पर अडिग हैं। उन्होंने कहा कि इच्छुक कंपनियों के लिए अपने रुचि पत्र जमा कराने की अंतिम तिथि फिलहाल 31 जुलाई है। इस बेचने का वास्तविक समय बाजार पर निर्भर करेगा। भारत पेट्रोलियम खरीदने वाली कंपनी को भारतीय ईंधन विपणन बाजार में सीधे 22 प्रतिशत की हिस्सेदारी और देश की रिफाइनिंग क्षमता में 15.3 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल होगी।
भारत पेट्रोलियम का बाजार मूल्यांकन 85,316 करोड़ रुपए है और मौजूदा दर पर सरकार की हिस्सेदारी का मूल्य 45,200 करोड़ रुपए बैठता है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश के तहत 2.1 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बीपीसीएल का विनिवेश काफी अहम है।