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अमेरिका के नए 'HIRE' बिल से टेंशन में $250 बिलियन का भारतीय IT Sector, जानें कैसे प्रभावित होंगी कंपनियां

भारत लंबे समय से आईटी आउटसोर्सिंग और इससे जुड़ी सेवाओं का केंद्र रहा है, इसलिए इस बिल ने भारतीय आईटी इंडस्ट्री में चिंता पैदा कर दी है, जो रेवेन्यू के लिए अमेरिकी ग्राहकों पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं।

Written By: Sunil Chaurasia
Published : Sep 10, 2025 04:59 pm IST, Updated : Sep 10, 2025 05:00 pm IST
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Photo:INFOSYS लंबे समय से आईटी आउटसोर्सिंग का केंद्र रहा है भारत

अमेरिका ने एक नया कानून पेश किया है, जिससे 250 अरब डॉलर की भारतीय आईटी इंडस्ट्री टेंशन में है। हॉल्टिंग इंटरनेशनल रीलोकेशन ऑफ एंप्लॉयमेंट (HIRE) एक्ट नाम का ये बिल इस महीने की शुरुआत में ओहायो के रिपब्लिकन सीनेटर बर्नी मोरेनो द्वारा अमेरिकी सीनेट में पेश किया गया था। प्रस्तावित कानून उन अमेरिकी कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान करता है जो विदेशों में नौकरियां आउटसोर्स करती हैं। इस कदम का उद्देश्य कंपनियों को स्थानीय स्तर पर नियुक्तियां करने के लिए प्रोत्साहित करना और विदेशी कर्मचारियों पर निर्भरता कम करना है।

लंबे समय से आईटी आउटसोर्सिंग का केंद्र रहा है भारत

चूंकि भारत लंबे समय से आईटी आउटसोर्सिंग और इससे जुड़ी सेवाओं का केंद्र रहा है, इसलिए इस बिल ने भारतीय आईटी इंडस्ट्री में चिंता पैदा कर दी है, जो रेवेन्यू के लिए अमेरिकी ग्राहकों पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं। ये विधेयक ऐसे समय में पेश किया गया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के कारण अमेरिका-भारत व्यापार संबंध पहले से ही तनाव में हैं।

क्या है HIRE बिल

HIRE बिल में तीन प्रमुख प्रावधान हैं जो विदेशों में काम की आउटसोर्सिंग को हतोत्साहित करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।

  • 25 प्रतिशत आउटसोर्सिंग टैक्स: ये बिल आउटसोर्सिंग पेमेंट्स पर 25 प्रतिशत टैक्स का प्रस्ताव करता है, जिसे किसी अमेरिकी कंपनी या टैक्सपेयर द्वारा किसी विदेशी कंपनी या व्यक्ति को भुगतान की गई राशि के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसकी सेवाएं अंततः अमेरिका में उपभोक्ताओं को लाभान्वित करती हैं।
  • टैक्स कटौती पर प्रतिबंध: ये कंपनियों को अपनी टैक्सेबल इनकम से आउटसोर्सिंग एक्सपेंस की कटौती करने से भी रोकेगा, जिससे विदेश में काम भेजने का वित्तीय बोझ बढ़ जाएगा।
  • डोमेस्टिक वर्कफोर्स फंड: आउटसोर्सिंग टैक्स से प्राप्त रेवेन्यू को एक नवगठित डोमेस्टिक वर्कफोर्स फंड में निर्देशित किया जाएगा।

भारतीय कंपनियों पर कैसे पड़ेगा असर

पिछले तीन दशकों में भारत आउटसोर्सिंग का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है। इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक, प्रमुख भारतीय आईटी कंपनियां- टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक और टेक महिंद्रा अपने कुल रेवेन्यू का 50 से 65 प्रतिशत उत्तरी अमेरिकी ग्राहकों से ही प्राप्त करती हैं। ये कंपनियां सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, सिस्टम इंटीग्रेशन, क्लाउड मैनेजमेंट और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) सहित कई तरह की सेवाएं प्रदान करती हैं। ये कंपनियां सिटी ग्रुप, जेपी मॉर्गन चेज, बैंक ऑफ अमेरिका, फाइजर, माइक्रोसॉफ्ट और सेंट गोबेन जैसी कई फॉर्च्यून 500 कंपनियों को भी सेवाएं देती हैं।

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