Saturday, April 27, 2024
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रिश्वतखोरी की जांच पर अडानी ग्रुप को नहीं मिला अमेरिकी जांच एजेंसियों से नोटिस, तीसरे पक्ष से संबंध को नकारा

Adani Group की कंपनियों की ओर से एक्सचेंज को कहा गया कि कंपनी को अमेरिकी जांच एजेंसियों द्वारा कोई नोटिस नहीं दिया गया है। हालांकि, अडानी ग्रीन द्वारा कहा गया है कि वह तीसरे पक्ष की अमेरिकी जांच से अवगत है, लेकिन उनका इस तीसरे पक्ष से कोई लेनादेना नहीं है।

Abhinav Shalya Edited By: Abhinav Shalya
Updated on: March 19, 2024 23:52 IST
अडानी- India TV Paisa
Photo:FILE अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी

अरबपति कारोबारी गौतम अडानी को नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप की ज्यादातर कंपनियों ने अमेरिका के अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोप की जांच को लेकर नोटिस मिलने से इनकार किया है लेकिन ग्रुप की रिन्यूएबल कंपनी अडानी ग्रीन ने कहा है कि वह एक असंबद्ध तीसरे पक्ष द्वारा अमेरिकी भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों के संभावित उल्लंघन की जांच से वह परिचित है। हालांकि,कंपनी ने कथित तीसरे पक्ष के साथ कोई संबंध होने से इनकार किया है। 

बता दें, शेयर बाजारों ने अडाणी समूह की कंपनियों से उस मीडिया रिपोर्ट पर टिप्पणी करने को कहा था जिसमें अडाणी समूह की किसी इकाई के कथित तौर पर रिश्वतखोरी में शामिल होने की अमेरिका में जांच किए जाने की बात कही गई थी।

सभी कंपनियों ने भेजा जबाव 

अडानी ग्रुप की सभी कंपनियों की ओर से एक्सचेंज को जबाव भेज दिए गए हैं। इस कथित रिपोर्ट को गलत बतााया है और कहा है कि रिश्वतखोरी को लेकर उन्हें अमेरिका की सरकारी एजेंसियों की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला है। हालांकि, अडानी ग्रीन की ओर से कहा गया है कि वह तीसरे पक्ष द्वारा अमेरिकी भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों के संभावित उल्लंघन की अमेरिका के न्याय विभाग द्वारा जांच के बारे में अवगत है। लेकिन कंपनी को इस मामले कोई नोटिस नहीं मिला है। हमारा उस तीसरे पक्ष से कई संबंध नहीं है।  इस तरह अमेरिका की मौजूदा जांच के दायरे पर टिप्पणी करने में असमर्थ हैं कि कंपनी या उसका कोई भी कर्मी तीसरे पक्ष के साथ कथित लेनदेन के संबंध में है या उसके संपर्क में है।

जेपी मॉर्गन ने जारी किया नोट

वित्त कंपनी जेपी मॉर्गन ने इस मुद्दे पर एक नोट जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि जांच के बारे ब्यौरा काफी कम मौजूद है। इस वजह से जांच हो सकता है किसी निष्कर्ष पर न पहुंचे। इस वजह से इसका काफी सीमित ही प्रभाव होगा। अगर मान लिया जाए कि ये खबर सही है तो अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) से ऐसी जांच का कानूनी आधार बनता है।

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